तीन साल बाद लौटकर मिली नई शुरुआत,  दुगलीबाई ने पति के साथ फिर से घर बसाया

Saroj kanwar
3 Min Read

Badwani News: जिला न्यायालय परिसर में आयोजित नेशनल लोक अदालत ने शनिवार को कई लंबे समय से चले आ रहे विवादों का सुलहपूर्वक निपटारा कराए और प्रभावित पक्षों को नई राह दिखाई। इस अवसर पर कई आपसी तथा वित्तीय मतभेदों का पारस्परिक समझौते से समाधान हुआ, जिनमें महिला-पुरुष संबंधों से जुड़े संवेदनशील मामले भी शामिल थे। लोक अदालत में मामलों का त्वरित निपटारा कराए जाने से स्थानीय लोगों को बड़ी राहत मिली।

लोक अदालत के मंच पर एक विशेष दंपति-मामले का समाधान लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बनकर उभरा। दंपति—पति राजाराम व पत्नी दुगलीबाई—बीते वर्षों से पारिवारिक तनाव का सामना कर रहे थे। विवाह होने के बाद दोनों के चार संतानें हुईं, पर समय के साथ घरेलू कलह और पति की अशांत प्रवृत्ति ने पारिवारिक जीवन को संकट में डाल दिया। कुछ वर्ष पहले दुगलीबाई अपने बच्चों के साथ मायके चली गई थीं और न्याय का सहारा लेने के लिए विधिक मार्ग अपनाया था।

लोक अदालत में दोनों पक्षों को समझाया गया और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ बातचीत कराकर संवाद का मार्ग खोलने का प्रयास किया गया। धैर्य के साथ हुई मध्यस्थता के दौरान जो मुद्दे सामने आए उनसे संबंधित शपथ और आश्वासन लिए गए। पति ने तामिल की जाने वाली समस्याओं को दूर करने तथा अपनी आदतों में सुधार लाने का लिखित एवं मौखिक आश्वासन दिया। इसके बाद दोनों ने आपसी सहमति से राजीनामा कराकर पुनर्मिलन का निर्णय लिया।

सुलह की घड़ी में दंपति ने एक-दूसरे को प्रतीकात्मक माला पहनाई तथा मिठाई बांटकर नए आरंभ का समारोह मनाया। अदालत ने भी परिवार को एक पौधा भेंट कर उनके संयुक्त भविष्य के लिए शुभकामनाएँ दीं। इस तरह का सामूहिक समर्पण और समझौता स्थानीय समुदाय के लिए सकारात्मक संदेश बनकर उभरा कि संवाद और मध्यस्थता से टूटे रिश्तों को मेल मिलाप की ओर मोड़ा जा सकता है।

इस लोक अदालत में केवल पारिवारिक मामले ही नहीं सुलझाए गए, बल्कि बैंक, विद्युत, नगरपालिका और अन्य प्रिलिटिगेशन मामलों में भी बड़ी संख्या में समझौते हुए। इन समझौतों से कई लोगों को आर्थिक राहत तथा शीघ्र न्याय मिला। आयोजन ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि न्यायिक मध्यस्थता और लोक अदालतें छोटे-छोटे विवादों को त्वरित तथा शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाने में अत्यंत प्रभावी हैं।

अंततः यह पहल न्यायपालिका के नजदीकियों को दिखाती है कि कानूनी प्रक्रिया केवल संदिग्धता और लंबित मामलों का बोझ नहीं बढ़ाती, बल्कि सही मार्गदर्शन मिलने पर परिवारों को जोड़ने और समाज में स्थिरता लाने का भी साधन बन सकती है।

TAGGED:
Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *