जीरे की मांग कमजोर , नीलामी सुस्त,भाव में गिरावट

Saroj kanwar
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जीरे का बाजार इस समय दबाव में है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अन्य निर्यातक देशों की सक्रियता और घरेलू स्तर पर पर्याप्त आपूर्ति के चलते मांग कमजोर बनी हुई है। हालत यह है कि दो साल पहले जिन ऊंचाइयों पर जीरे की कीमत पहुंच गई थी, वहीं अब उसका भाव घटकर महज एक-तिहाई रह गया है। हैरानी की बात यह है कि इस नीचे स्तर पर भी खरीदारों की नीलामी सुस्त बनी हुई है।

गुजरात की बेंचमार्क ऊंझा मंडी में रोजाना करीब 9 से 10 हजार बोरी जीरे की आवक हो रही है। लेकिन स्थानीय डीलर्स, बाहर के व्यापारी और निर्यातकों की सक्रियता में कमी देखने को मिल रही है। बाजार सूत्रों का कहना है कि हाजिर कारोबार को फिलहाल वायदा से भी कोई सहारा नहीं मिल रहा है।

यही कारण है कि भाव दबाव में हैं। अगले एक-दो सप्ताह में नई फसल के लिए जीरे की बुआई शुरू होने की संभावना है। कमजोर कीमतों को देखते हुए किसानों का उत्साह सीमित रहने की आशंका है, लेकिन उत्पादन क्षेत्र में कमी आने की संभावना नहीं है। दरअसल गुजरात और राजस्थान जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों में इस साल मानसून अच्छा रहा है और मिट्टी में नमी पर्याप्त है।

इससे किसानों को समय पर बिजाई करने में मुश्किल नहीं होगी। त्योहारों के सीजन को लेकर बाजार में हल्की उम्मीद जरूर है। दिवाली नजदीक आने के साथ ही मसालों की खपत बढ़ने की संभावना है। व्यापारियों का कहना है कि त्योहारों में जीरे की मांग तेज हो सकती है, लेकिन कीमतों पर इसका असर से कितना पड़ेगा, यह कहना अभी मुश्किल है।

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