जिले में कपास की वापसी, किसानों के लिए नई उम्मीद

Saroj kanwar
3 Min Read

Dhaar News: धार जिले में भैंसोला के कृषि इलाकों में कपास की ओर रुझान फिर बढ़ने लगा है। क्षेत्र में संभावित टेक्सटाइल और जीनिंग उद्योगों के आने की उम्मीद से कपास की मांग में इजाफा होने की संभावना है। स्थानीय स्तर पर धागा और कपड़ा तैयार होने से किसानों को अपने उत्पाद बेचने में सुविधा मिलेगी और परिवहन खर्च भी घटेगा।

क्षेत्र की देसी कपास किस्म पुरानी पहचान रखती है और कई दशकों पहले बनाए गए कृषि अनुसंधान केन्द्रों ने ऐसी कई किस्में विकसित की थीं जो बाजार के अनुरूप हैं। 2008 से पहले यह इलाका कपास की खेती के लिए प्रमुख माना जाता था, मगर सोयाबीन की पैदावार बढ़ने के बाद कपास का रकबा घट गया। उस समय पेटलावद रोड पर स्थापित कपास मंडी भी उत्पादन में गिरावट के कारण बंद हो गई और बाद में उसे सब्जी मंडी में बदला गया।

हाल ही में कपास का रकबा धीरे-धीरे बढ़ रहा है। 2024 में करीब 217 हेक्टेयर में कपास बोई जा रही थी, जो अब लगभग 320 हेक्टेयर तक पहुँच चुकी है। कृषि विभाग और स्थानीय अधिकारियों का मानना है कि आने वाले समय में औद्योगिक मांग बढ़ने से यह रकबा और विस्तृत होगा। विशेषकर मेगा टेक्सटाइल पार्क जैसी परियोजनाएँ स्थानीय उपज की मांग को बढ़ाएँगी और किसानों को बेहतर मूल्य मिल सकेंगे।

सिंचाई सुविधाओं में सुधार इस बदलाव का एक अहम कारण है। कपास की कटाई के लिए नियमित और भरोसेमंद पानी की व्यवस्था जरूरी होती है। क्षेत्र में नहरों और सिंचाई नेटवर्क के विस्तार से कई किसान कपास की खेती के लिए उत्साहित हुए हैं। इसी के चलते कृषि विभाग ने इस साल लंबे रेशे वाली किस्मों के बीज किसानों को निशुल्क उपलब्ध कराए ताकि उत्पादन गुणवत्ता और मात्रा दोनों में सुधार हो सके।

सोयाबीन की तुलना में कपास की लागत और लाभ में आए बदलावों ने भी किसान निर्णयों को प्रभावित किया है। पिछले कुछ वर्षों में सोयाबीन के बाजार भाव लगातार नीचे रहने और पकाने-खरपतवार नियंत्रण व कटाई में उच्च खर्च के कारण किसान असंतुष्ट रहे हैं। ऐसे में कई किसानों को अब कपास और मक्का जैसी वैकल्पिक फसलों की ओर प्रोत्साहित किया जा रहा है ताकि लागत-लाभ का संतुलन बेहतर हो सके।

आगे के दो वर्षों में स्थानीय प्रशासन और कृषि विस्तार सेवा का लक्ष्य रकबे को और बढ़ाना है। किसानों के लिए प्रशिक्षण, गुणवत्तापूर्ण बीज और तकनीकी मदद प्रदान की जाएगी ताकि वे नई माँग का पूरा लाभ उठा सकें। कुल मिलाकर, बेहतर सिंचाई, औद्योगिक मांग और सरकारी समर्थन मिलकर भैंसोला क्षेत्र में कपास खेती को फिर से मजबूत बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।

TAGGED:
Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *