जहां मिट्टी से बना गणेश होता है, वहां होती है शुद्ध आस्था

Saroj kanwar
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Chhatarpur News: गणेश चतुर्थी का पर्व पूरे देश में श्रद्धा से मनाया जाता है। इस दिन से गणेश पूजन शुरू होता है और अनंत चतुर्दशी तक चलता है। परंपरा के अनुसार, भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित कर उन्हें लड्डू, सिंदूर आदि अर्पित किए जाते हैं।

रामकथा वाचक मोरारी बापू के अनुसार, मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमा न केवल शास्त्रों के अनुसार श्रेष्ठ मानी जाती है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी लाभदायक होती है। मिट्टी की मूर्तियां पंचतत्वों से बनी होती हैं और इन्हें पूजने से कई यज्ञों के बराबर फल मिलता है। शिवपुराण के अनुसार, माता पार्वती ने भी मिट्टी से ही गणेशजी की रचना की थी।

आजकल बाजार में प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) की मूर्तियां मिलती हैं जो सुंदर तो दिखती हैं, लेकिन इनमें रसायन होते हैं जो नदियों और तालाबों को प्रदूषित करते हैं। दूसरी ओर, मिट्टी की मूर्तियां पानी में आसानी से घुल जाती हैं और पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचातीं।इस गणेश उत्सव पर हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि केवल मिट्टी से बनी मूर्तियों का ही पूजन करें। यह परंपरा, प्रकृति और पूजा  तीनों के लिए सही विकल्प है।

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