गोवंश के नाम पर अनुदान, जमीन पर सच्चाई कुछ और; जांच में सामने आई बड़ी गड़बड़ी

Saroj kanwar
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Tikamgarh News: टीकमगढ़ जिले में कई गोशालाओं में गोवंश की वास्तविक संख्या कम पाई गई है, जबकि पोर्टल पर ज्यादा संख्या दिखाकर लाखों रुपए का अनुदान ले लिया गया। प्रशासन की सख्ती के बाद जांच में यह खुलासा हुआ कि कई गोशालाओं में क्षमता से काफी कम गोवंश रखे गए हैं।

आलमपुरा गांव की गोशाला में 100 गोवंश बताकर 62 हजार रुपए का अनुदान लिया गया, लेकिन मौके पर सिर्फ 41 गोवंश मिले। इसी तरह भगवंतपुरा गोशाला में 127 गोवंश दिखाकर 78 हजार रुपए का भुगतान लिया गया, जबकि हकीकत में सिर्फ 21 गोवंश ही मौजूद थे। अब वहां सड़क से गोवंश खदेड़कर लाए जा रहे हैं ताकि संख्या पूरी दिख सके।

धजरई गोशाला में भी हालात खराब मिले, जहां सिर्फ 5 गोवंश चरते हुए दिखाई दिए। जिले में कुल 76 गोशालाएं हैं, जिनमें से 72 सक्रिय हैं। इन में से 18 गोशालाएं ऐसी निकलीं जहां क्षमता अनुसार गोवंश नहीं पाया गया।

गोशालाओं को मिलने वाला भुगतान ऑनलाइन पोर्टल के जरिए होता है, जिसमें डॉक्टरों की निगरानी में गोवंश की संख्या फीड की जाती है। पोर्टल पर अधिक संख्या दिखाकर संचालकों को पूरी राशि मिल जाती है, जबकि जमीन पर सच्चाई कुछ और होती है।

कलेक्टर के निर्देश पर अब इन गोशालाओं की नियमित जांच की जाएगी और जुलाई महीने का भुगतान तभी होगा जब सत्यापन हो जाएगा। साथ ही हर 8 दिन में गोशालाओं में मौजूद गोवंश की संख्या की जांच की जाएगी।

गंभीर बात यह है कि शासन ने गोशालाओं को चरनोई की जमीन भी दी है, ताकि गोवंश को बाहर न निकालना पड़े। बावजूद इसके कई जगह गोवंश बाहर घूमते हुए मिले, जिससे यह साफ है कि व्यवस्था में लापरवाही हो रही है।

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