गोबर, गुड़ और बेसन से बना रहे जैविक खाद, राख से कीटों को कर रहे दूर

Saroj kanwar
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Chhatarpur News: उज्जैन के शंकरपुर गांव के किसान ईश्वर सिंह डोडिया ने रासायनिक खेती छोड़ जैविक खेती की राह अपनाकर मिसाल पेश की है। ढाई बीघा जमीन में वे देशी तकनीकों और परंपरागत तरीकों से खेती कर सालाना करीब 12 लाख रुपए की आमदनी कमा रहे हैं।

उन्होंने 2013 में जैविक खेती की शुरुआत की। शुरुआत में जानकारी कम थी, लेकिन सुभाष पालेकर की शून्य बजट खेती पद्धति से प्रेरणा ली। अब वे जीवामृत तैयार करते हैं, जिसमें 10 किलो गोबर, 8-10 लीटर गोमूत्र, 2 किलो बेसन, 2 किलो गुड़ और पेड़ के नीचे की मिट्टी मिलाकर 48 घंटे में खाद तैयार होती है।

यह खाद छिड़काव और सिंचाई दोनों तरीकों से प्रयोग होती है। ईश्वर सिंह गोबर के उपलों की राख को कीटनाशक के रूप में उपयोग करते हैं। इससे फसल को ऑक्सीजन और रॉक फॉस्फेट भी मिलता है और कीट नहीं लगते। वे अहमदाबाद की गिर गाय के गोमूत्र से तैयार “गोकृपा अमृतम्” और वैज्ञानिकों द्वारा तैयार वेस्ट डी-कंपोजर का भी उपयोग करते हैं।

खेती के चारों तरफ फेंसिंग कर मेड़ों पर जामफल, सीताफल, नींबू, सहजन जैसे फलदार पेड़ लगाए हैं। वे हल्दी, धनिया, अदरक, गाजर जैसी फसलें और कई प्रकार की सब्जियां भी उगाते हैं। उनके प्रयासों को देखकर अब अन्य किसान भी जैविक खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं।

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