गेहूं बीज खरीदने वालों की तादाद में बढ़ोतरी, भाव 3300 से 3500 रुपए

Saroj kanwar
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पानी गिरने के बाद किसानों ने गेहूं की बुवाई की ओर रूख कर लिया है। रविवार को चिमनगंज मंडी में लगी दुकानों से किसानों ने गेहूं बीज की खरीदी जोरों से शुरू कर

मंडी व्यापारी महेश मेहता ने बताया 2 दिन से गेहूं बीज खरीदने वालों की तादाद बढ़ गई है। भाव भी 3300 से 3500 रुपए के चल रहे हैं। व्यापारियों ने भारी मात्रा में गेहूं के कट्टे दुकानों पर डंप कर रखे हैं। चिमनगंज मंडी रविवार को भी गेहूं बीज खरीदने वाले किसानों से भरी रही। इसके अलावा डॉलर चना, कांटा चना भी बोवनी के लिए खरीदते किसान नजर आए। इधर, किसान कमल पटेल ने बताया सरकार का समर्थन दाम इस वर्ष का 2585 रुपए होने से किसान शत-प्रतिशत रकबा गेहूं के लिए रख रहे हैं। अन्य कोई फसल नहीं लगाते हुए गेहूं पर ही ध्यान लगाया जा रहा है।

सरकार की गारंटी वाले भाव 2585 रुपए होने से अपार उत्साह किसानों में बना हुआ है। इस बार पूर्णा गेहूं का क्रॉस 1650 नामक गेहूं बिक्री में अधिक शुमार है। यह खाने वालों के लिए बेहतर साबित हुआ है। एक बीघा में 12 से 14 क्विंटल की उपज होती है। इसके अलावा उषा, मंगल, तेजस, पोषक, मालवराज, मालवशक्ति के साथ लोकवन बीज खेतों में डाला जा रहा है। शरबती गेहूं के पते नहीं लग रहे हैं। अगर कहीं मिले भी तो शौकिया तौर पर ही लगाया जा रहा है। न्यूनतम भाव 2430 से 3100 रुपए के हैं।

भावांतर का दूसरा दिन : आज सर्वर डाउन रहा तो नीलामी की चुनौती

24 अक्टूबर से शुरू हुई सोयाबीन पर भावांतर की खरीदी का आज सोमवार को दूसरा दिन है। पहले दिन सर्वर डाउन होने के कारण पूरी व्यवस्था ही बिगड़ गई। काफी मशक्कत के बाद ऑफलाइन खरीदी करते हुए जैसे तैसे किसानों की उपज की नीलामी तो करा दी लेकिन इस प्रक्रिया को ऑनलाइन चढ़ाने में शनिवार का पूरा दिन बीत गया।

भोपाल की आईटी टीम भी पूरे दिन पोर्टल को अपडेट करने में लगी रही लेकिन शनिवार शाम तक उज्जैन मंडी में रखी स्वेपिंग मशीन 100 प्रतिशत सही काम नहीं कर पा रही थी।

मशीन में एंट्री तो हो रही थी लेकिन इससे पर्ची का प्रिंट नहीं निकल पा रहा था। मशीन चलाने वाले कर्मचारियों ने जिम्मेदारों को इससे अवगत भी करा दिया। यदि यही स्थिति रही तो आज सोमवार से खरीदी में बड़ी चुनौती आएगी, क्योंकि अब पूरे सप्ताह मंडी में डाक नीलामी होगी। तकनीकी सुधार के लिए संबंधितों को मौका नहीं मिलेगा। सोमवार से किसानों की भीड़ भी बढ़ने का अनुमान है। उज्जैन मंडी सचिव अश्विन सिन्हा और संयुक्त संचालक मंडी बोर्ड एमएस मुनिया दोनों ही जिम्मेदार अधिकारी मंडी संबंधी जानकारी देने से बच रहे हैं। अफसरों का यही रूख रहा तो भावांतर भुगतान योजना की आमजन को सही जानकारी नहीं मिल सकेगी और मंडी में अव्यवस्था फैलने का संदेह बना रहेगा। 

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