गुजरात, उत्तर प्रदेश व महाराष्ट्र तक पहुंच रहे तीन किस्मों के आलू ,महिला किसान ने उगाया लाल, नीला और सफेद आलू, सालाना 2 हजार क्विंटल बीज का उत्पादन

Saroj kanwar
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गांव पतली डाबर की किसान वसूधा बांसल ने आलू उत्पादन से न केवल मुनाफा कमाया है बल्कि उत्तम क्वालिटी के (नीलकंठ, लाल और सफेद रंग के आलू) बीजोत्पादन से देश- विदेश में भी अपनी पहचान कायम की है। इतना ही नहीं उसके फार्म में करीब 30 महिलाओं को रोजगार मिला है। इसके अलावा ऑर्गेनिक फार्मिंग की उपलब्धि पर प्रोग्रेसिव किसान वर्ष 2023 में चौधरी चरणसिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार में आयोजित किसान मेला में सम्मानित हो चुकी है।

प्रगतिशील किसान वसूधा बांसल बताती हैं कि उसने मनोविज्ञान विषय में एमए की। वह गार्डनिंग का शौक रखती हैं। वर्ष 2014 में जिला उद्यान विभाग में कृषि विशेषज्ञों के साथ गुजरात और बंगाल में सेमिनार में गए थे, जिसमें आलू उत्पादन के साथ ही बागवानी के बारे में जानकारी हासिल की। सेमिनार से प्रेरित होकर  सिरसा बेल्ट में ऐसी फार्मिंग की ठानी। हरियाणा पोटेटो रिसर्च सेंटर से आलू की विभिन्न किस्में खरीदी, जिससे डिंग मोड स्थित अपने एग्रो फार्म में आलू के बीजोत्पादन की शुरुआत की। अब 10 साल से आलू की उत्तम क्वालिटी के बीजोत्पादन से सालाना परंपरागत खेती से तीन गुना मुनाफा कमाती हूं।

प्रगतिशील किसान ने 30 एकड़ में किन्नू, माल्टा, आम व बेर की बागवानी की है, जिसमें 22 एकड़ में आलू की खेती (बीजोत्पादन) करते हैं। फार्म में सालाना करीब 2 हजार क्विंटल आलू का बीज उत्पादन होता है, जिससे 7 से 8 लाख रुपए आमदनी है। उसके फार्म से उत्पादित बीज हरियाणा के साथ-साथ गुजरात, यूपी व महाराष्ट्र तक के किसान लेने आते हैं। उत्तर प्रदेश में लाल और एनसीआर क्षेत्र में नीले आलू की मांग अधिक है।

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