गांधीसागर फॉरेस्ट रिट्रीट फेस्टिवल में नियमों के उल्लंघन और स्थानीय नाराजगी

Saroj kanwar
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Neemuch News: गांधीसागर फॉरेस्ट रिट्रीट फेस्टिवल में हाल ही में सामने आए खुलासे यह दर्शाते हैं कि आयोजन में जिम्मेदार कंपनी ने कई नियमों की अनदेखी की है। यह वही कंपनी है, जिसे पहले उत्तरप्रदेश में फर्जी वर्क ऑर्डर के आरोप में ब्लैक लिस्ट किया जा चुका है। बावजूद इसके, पिछले चार सालों से इसे गांधीसागर में यह फेस्टिवल कराने के लिए जिम्मेदारी दी गई है। हाल ही में सीएम को हॉट एयर बैलून ट्रॉली में बैठाने के दौरान पायलट के पास लाइसेंस नहीं था, जिससे उनकी सुरक्षा जोखिम में पड़ गई।

इस कंपनी ने पहले भी नियमों की अवहेलना की थी। फेस्टिवल के शुरुआती साल में ही ईको सेंसेटिव क्षेत्र में पक्के बेस फ्लोर निर्माण शुरू कर दिए गए थे, जिसे तत्कालीन वन विभाग ने तोड़वाया। कंपनी की इस कार्रवाई के कारण अधिकारियों पर दबाव भी पड़ा था। इस आयोजन से सरकार का उद्देश्य पर्यटन को बढ़ावा देना और स्थानीय लोगों को रोजगार देना था, लेकिन कंपनी ने स्थानीय युवाओं और व्यापारियों को शामिल नहीं किया। इससे क्षेत्रवासियों में नाराजगी पैदा हुई।

स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि बड़े आयोजन में उन्हें पर्याप्त अवसर नहीं मिले और रोजगार के नाम पर केवल कुछ युवकों को काम दिया गया। पंचायत ने भी मांग की है कि फेस्टिवल में स्थानीय लोगों को प्राथमिकता दी जाए, ताकि रोजगार और आर्थिक अवसर बढ़ें।

फेस्टिवल के आयोजन के लिए वरिष्ठ अधिकारियों की एक कमेटी बनाई गई है, जिसमें प्रमुख अधिकारियों की निगरानी रहती है। ईको सेंसेटिव क्षेत्र में पक्के निर्माण पर प्रतिबंध है, ताकि आयोजन खत्म होने के बाद जमीन अपने पुराने स्वरूप में लौट सके और वन्य जीवन प्रभावित न हो। अधिक शोर और नियमों के उल्लंघन पर भी रोक है।

वन विभाग के अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि अगर नियमों का उल्लंघन दोबारा पाया गया तो वरिष्ठ स्तर पर रिपोर्ट कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। दूसरी ओर कंपनी के प्रतिनिधियों का कहना है कि कानूनी प्रावधानों का पालन किया जा रहा है और स्थानीय लोगों को काम भी दिया गया है।

इस पूरे मामले से स्पष्ट है कि फेस्टिवल का संचालन सुरक्षित और नियमानुसार होना आवश्यक है, ताकि पर्यटन बढ़ाने के साथ-साथ स्थानीय लोगों को रोजगार मिले और क्षेत्र का प्राकृतिक वातावरण सुरक्षित रहे।

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