खतौनी और भूमि माप की जानकारी: बीघा, बिस्वा, धुर में बदलने की प्रक्रिया

Saroj kanwar
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भारत में जमीन से जुड़ी जानकारी लेना एक आम जरूरत है, खासकर उन लोगों के लिए जिनके पास खेती की जमीन या अपनी प्रॉपर्टी है। खेत की फ़सल, भूमि के हिसाब-किताब, खरीद-फरोख्त, या सरकार से सब्सिडी और योजनाओं का लाभ लेने के लिए खतौनी की जानकारी तथा जमीन की माप जरूरी होती है। जमीन की माप के लिए गाँव और क्षेत्र के अनुसार अलग-अलग माप के इकाई प्रचलित हैं, जैसे कि बीघा, बिस्वा, धुर आदि। ये इकाइयां कब और कैसे एक-दूसरे में बदली जाती हैं, इस बात की जानकारी होना बेहद जरूरी है।

खतौनी एक तरह का ज़मीन का रिकॉर्ड होता है, जिसमें जमीन के मालिक, मिट्टी की गुणवत्ता, फसल और जमीन के क्षेत्रफल जैसी सारी जानकारियां होती हैं। वहीं जमीन मापने के लिए बीघा, बिस्वा, धुर जैसी कई माप इकाइयां होती हैं, जो स्थान के अनुसार बदलती रहती हैं। इस लेख में बीघा, बिस्वा, और धुर के बीच माप की बदलने की आसान प्रक्रिया समझाई जाएगी ताकि कोई भी व्यक्ति अपनी जमीन का सही माप जान सके।

खतौनी और भूमि माप की पूरी जानकारी

खतौनी वह दस्तावेज होता है जिसमें ज़मीन का मालिकाना हक और भूमि से जुड़ी सभी जानकारियां लिखी होती हैं। इसे पटवारी या सरकारी अधिकारी बनाते हैं और यह जमीन के रिकॉर्ड का आधिकारिक प्रमाण होता है। खतौनी में जमीन के क्षेत्रफल से लेकर फसल का प्रकार तक दर्ज होता है।

भूमि माप की इकाइयां जैसे कि बीघा, बिस्वा, धुर का प्रयोग भारत के अलग-अलग भागों में किया जाता है। उदाहरण के लिए, बिहार, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में बीघा और बिस्वा का उपयोग ज्यादा होता है, जबकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बीघा के साथ-साथ धुर भी प्रचलित माप हैं।

यह माप क्षेत्र और ज़मीन की गुणवत्ता के हिसाब से अलग-अलग होते हैं, इसलिए इन्हें एक-दूसरे में बदलने के लिए उनकी मानक इकाइयों को समझना जरूरी है।

भूमि माप की इकाइयों का सारांश तालिका

माप इकाईइतनी जमीन होती है
1 बीघालगभग 20 बिस्वा (क्षेत्र अनुसार भिन्न हो सकता है)
1 बिस्वालगभग 20 धुर या 1/20 बीघा
1 धुरलगभग 16.5 वर्ग गज
1 बीघा (उत्तर भारत)लगभग 27225 से 30250 वर्ग फीट या 2000-2200 वर्ग मीटर
1 बीघा (मध्य भारत)लगभग 30450 वर्ग फीट या 2800 वर्ग मीटर
1 बीघा (पश्चिमी भारत)लगभग 24000 से 34000 वर्ग फीट (राज्य के अनुसार)

बीघा, बिस्वा, और धुर में बदलने की सामान्य प्रक्रिया

  1. बीघा से बिस्वा में बदलाव
    बीघा को बिस्वा में बदलने के लिए सबसे जरूरी है कि क्षेत्र के अनुसार एक बीघा में कितने बिस्वा होते हैं, वह जाना जाए। आमतौर पर 1 बीघा = 20 बिस्वा माना जाता है। अगर आपके पास 2 बीघा जमीन है तो उसे बिस्वा में बदलने के लिए 2 × 20 = 40 बिस्वा होगा।
  2. बिस्वा से धुर में बदलाव
    बिस्वा को धुर में बदलने के लिए भी क्षेत्र के नियम जानना होगा। सामान्य तौर पर 1 बिस्वा में 20 धुर होते हैं। 10 बिस्वा = 10 × 20 = 200 धुर होंगे।
  3. बीघा से धुर में सीधे बदलना
    बीघा को सीधे धुर में बदलने के लिए दोनों बदलाव को एक साथ करना होगा। जैसे 1 बीघा = 20 बिस्वा और 1 बिस्वा = 20 धुर, तो 1 बीघा = 20 × 20 = 400 धुर होते हैं।
  4. धुर से बिस्वा या बीघा में परिवर्तन
    धुर को बिस्वा में बदलने के लिए धुर की संख्या को 20 से भाग करें। अगर 200 धुर ज़मीन है तो 200 ÷ 20 = 10 बिस्वा होगी। वहीँ, धुर से बीघा बदलने के लिए धुर की संख्या को 400 से भाग करें।

महत्वपूर्ण बातें ध्यान में रखें

  • ये माप क्षेत्रीय होते हैं, इसलिए स्थानी नियमों और रिकॉर्ड से यह अलग हो सकते हैं।
  • खतौनी में दर्ज जमीन का माप हमेशा आधिकारिक माना जाता है।
  • माप बदलते समय क्षेत्र के सरकारी अधिकारी से परामर्श लेना चाहिए।
  • जमीन का माप बदलने के बाद नए रिकॉर्ड की कॉपी खतौनी में अपडेट करनी होती है।
  • जमीन की खरीद-फ़रोख्त या सरकार की योजनाओं में जमीन की सही माप होना जरूरी होता है।

भूमि माप परिवर्तन के लिए दस्तावेज और प्रक्रिया

  • खतौनी की कॉपी और जमीन का नक्शा साथ रखें।
  • संबंधित तहसील या राजस्व कार्यालय जाकर जमीन के माप की जांच कराएं।
  • जमीन के पुराने और नए माप को रिकॉर्ड में दर्ज करवाएं।
  • नए माप के मुताबिक सरकारी रिकॉर्ड में सुधार कराएं।
  • कभी-कभी स्थानिक पटवारी या राजस्व अधिकारी की मदद भी आवश्यक होती है।

निष्कर्ष

खतौनी और भूमि माप की जानकारी से खेती, प्रॉपर्टी की खरीद-बिक्री, और सरकारी योजनाओं में लाभ उठाना आसान हो जाता है। बीघा, बिस्वा, और धुर जैसी माप इकाइयों को समझ कर सही माप की पुष्टि की जा सकती है। हमेशा सुनिश्चित करें कि खतौनी और भूमि माप के दस्तावेज अद्यतित और सही हों।

Disclaimer: यह जानकारी भारत सरकार के राजस्व और भूमि प्रबंधन विभाग की आधिकारिक नीतियों पर आधारित है। बीघा, बिस्वा, और धुर की माप क्षेत्र अनुसार भिन्न हो सकती है, इसलिए जमीन की माप का सत्यापन संबंधित सरकारी विभाग से ही कराना जरूरी होता है। इस विषय से जुड़े किसी भी अफवाह या गलत जानकारी से सावधान रहें।

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