भारत में कृषि आज भी काफी हद तक वर्षा पर निर्भर है, जिसका अर्थ है कि किसानों को हर साल अप्रत्याशित मौसम और पानी की कमी की चुनौती का सामना करना पड़ता है। इस समस्या का स्थायी समाधान खोजने के लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) लागू की है। इस योजना का उद्देश्य खेतों तक पानी पहुंचाना और आधुनिक सिंचाई तकनीकों को बढ़ावा देना है ताकि किसान मौसम की अनिश्चितताओं से पार पाकर फसल उत्पादन बढ़ा सकें।
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ड्रिप सिंचाई को सरकारी प्रोत्साहन
बागवानी विभाग ड्रिप सिंचाई प्रणाली को सक्रिय रूप से बढ़ावा दे रहा है। इस तकनीक के तहत पानी बूंद-बूंद करके सीधे पौधों की जड़ों तक पहुंचाया जाता है, जिससे पानी की बर्बादी रुकती है और फसल को आवश्यक नमी मिलती है। सरकार ड्रिप सिंचाई उपकरण लगाने के लिए किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है, जिससे खेती की लागत कम हो रही है।
किसानों को कितनी सब्सिडी मिल रही है?
ड्रिप सिंचाई योजना के तहत किसानों को अधिकतम 2 लाख रुपये तक की सहायता प्रदान की जा रही है। इस योजना के अंतर्गत कुल लागत का 45 से 55 प्रतिशत तक सब्सिडी निर्धारित की गई है। 5 एकड़ या उससे अधिक भूमि वाले किसानों को 45 प्रतिशत सब्सिडी मिलती है, जबकि 5 एकड़ से कम भूमि वाले छोटे किसानों को 55 प्रतिशत तक सब्सिडी मिलती है। प्रति हेक्टेयर 70,000 रुपये तक की सहायता राशि निर्धारित की गई है।
आवेदन प्रक्रिया और चयन प्रणाली
इस योजना का लाभ उठाने के लिए किसानों को कृषि विभाग के एमपीएफएसटीएस पोर्टल पर ऑनलाइन पंजीकरण कराना होगा। आवेदन प्रक्रिया पूरी होने के बाद, पात्र किसानों का चयन लॉटरी प्रणाली के माध्यम से किया जाता है। अधिकारियों के अनुसार, राज्य में ड्रिप सिंचाई के लिए निर्धारित लक्ष्य प्राप्त कर लिए गए हैं, लेकिन आने वाले चरणों में और अधिक किसानों को शामिल किया जाएगा।
खेती के लिए ड्रिप सिंचाई के लाभ
ड्रिप सिंचाई से पानी की खपत में लगभग 70 प्रतिशत की बचत होती है। साथ ही, उर्वरक सीधे जड़ों तक पहुँचने से उर्वरक की खपत में 40 प्रतिशत की कमी आती है। इसका सीधा असर फसल उत्पादन पर पड़ता है और उपज में 20 से 30 प्रतिशत की वृद्धि देखी जा रही है। बदलते मौसम और पानी की कमी के दौर में, यह तकनीक किसानों के लिए एक प्रभावी समाधान के रूप में उभर रही है।