कलेक्टर के आदेश के बाद भी जर्जर स्कूल और आंगनवाड़ी भवनों में चल रही पढ़ाई, बच्चों की सुरक्षा पर खतरा

Saroj kanwar
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Burhanpur News: खंडवा जिले में कई स्कूल और आंगनवाड़ी आज भी जर्जर भवनों में संचालित हो रहे हैं, जबकि चार दिन पहले कलेक्टर ने ऐसे सभी भवनों से बच्चों को हटाकर सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट करने के आदेश दिए थे। उन्होंने निर्देश दिया था कि बारिश के मौसम में पुराने भवनों में बच्चों को रखना खतरनाक हो सकता है। यदि शासकीय भवन उपलब्ध न हो तो किराए के भवनों की व्यवस्था की जाए, लेकिन अब तक किसी भी जर्जर भवन को खाली नहीं कराया गया।

शहर के कई स्कूलों की छतें टपक रही हैं और दीवारें कमजोर हो चुकी हैं, फिर भी बच्चों की पढ़ाई इन्हीं कमरों में हो रही है। कुछ स्थानों पर छात्र जर्जर छत के नीचे बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं। इससे बच्चों की जान को जोखिम बना हुआ है।

जिला शिक्षा विभाग ने नगर निगम और पीडब्ल्यूडी को 14 जर्जर स्कूल भवनों को गिराने के लिए पत्र लिखा है। अधिकारियों का कहना है कि जहां संभव है, वहां जर्जर भवनों के भीतर ही सुरक्षित कमरों में कक्षाएं शिफ्ट की जा रही हैं। लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि बच्चों को अब भी खतरनाक हालात में पढ़ना पड़ रहा है।

जिले के पुनासा, पंधाना, खालवा और छैगांवमाखन जैसे ब्लॉकों में 22 ऐसे स्कूल चिन्हित किए गए हैं, जिनकी हालत बेहद खराब है। इनमें माकड़कच्छ, पंधाना कन्या शाला, देवनालिया, कुम्हारखेड़ा, सुकवी, जामन्या, टाकलीकला, मोकलगांव, घाटाखेड़ी, नहारमाल, बोराड़ीमाल, सातमोहिनी सहित कई स्कूल शामिल हैं।

स्थानीय लोगों का कहना है कि जब प्रशासन को इन भवनों की स्थिति की जानकारी है तो बच्चों को खतरे में क्यों डाला जा रहा है। यदि समय रहते कोई कदम नहीं उठाया गया, तो किसी दिन बड़ा हादसा हो सकता है।

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