इन Cash Transactions पर आ सकता है इनकम टैक्स का नोटिस! जानें लिमिट और नया नियम

Saroj kanwar
7 Min Read

Cash Transactions: आजकल कैश ट्रांजेक्शन पर सरकार की सख्ती लगातार बढ़ रही है। डिजिटल इंडिया अभियान के दौर में सरकार चाहती है कि लोग नकद लेन-देन के बजाय बैंकिंग चैनल का इस्तेमाल करें। यही कारण है कि आयकर विभाग ने नकद लेन-देन पर कई कड़े नियम बनाए हैं। अगर कोई तय सीमा से ज्यादा कैश का लेन-देन करता है तो उसे भारी जुर्माना और नोटिस झेलना पड़ सकता है।

बहुत से लोग बिजनेस, प्रॉपर्टी या निजी काम में बड़ी नकद राशि का इस्तेमाल कर लेते हैं। लेकिन अब ऐसा करने पर आयकर कानून का उल्लंघन माना जाएगा। सरकार ने कैश लेन-देन की लिमिट तय कर दी है और उससे ज्यादा रकम कैश में लेने-देने पर तुरंत आयकर विभाग की निगरानी शुरू हो जाती है। ऐसे मामलों में पेनल्टी सीधे उतनी लगती है जितनी राशि नकद में ट्रांसफर हुई हो।

आयकर विभाग के नियम और सीमा

आयकर विभाग ने नकद लेन-देन पर अलग-अलग सेक्शन के माध्यम से लोगों को सीमित किया है। धारा 269SS के तहत 20,000 रुपये या उससे अधिक का नकद लोन या डिपॉजिट लेना प्रतिबंधित है। वहीं धारा 269ST कहती है कि कोई भी व्यक्ति एक बार में या एक दिन में किसी अन्य से 2 लाख रुपये से अधिक कैश स्वीकार नहीं कर सकता।

इसके अलावा धारा 40A(3) के मुताबिक अगर कोई व्यवसायी 10,000 रुपये से अधिक का भुगतान नकद करता है तो यह खर्च टैक्स निर्धारण में मान्य नहीं होगा। इसी तरह धारा 269T के अनुसार, लोन की वापसी बड़ी नकद राशि में नहीं की जा सकती और इसका भुगतान केवल बैंकिंग चैनल से ही होना चाहिए।

कैश ट्रांजेक्शन पर जुर्माना और नोटिस

नकद लेन-देन की सीमा का उल्लंघन करने पर पूरे लेन-देन पर 100% तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। मतलब अगर किसी ने 2 लाख रुपये कैश में लोन लिया है तो उसी राशि का बराबर जुर्माना लगेगा। आयकर विभाग ऐसे मामलों में नोटिस भेजकर संबंधित व्यक्ति से स्रोत का प्रमाण भी मांगता है।

कई बार यह नोटिस घर तक पहुंच जाता है और व्यक्ति को पूरी जानकारी और सबूत देने होते हैं। अगर लेन-देन का कोई वैध कारण या बैंक रिकॉर्ड नहीं प्रस्तुत किया जाता तो पेनल्टी निश्चित हो जाती है। यही वजह है कि कैश लेन-देन सावधानी से ही करना चाहिए और डिजिटल भुगतान को प्राथमिकता देनी चाहिए।

किन परिस्थितियों में नोटिस आ सकता है

अगर कोई व्यापारी बड़ी नकद खरीद-बिक्री करता है तो विभाग तुरंत अलर्ट हो जाता है। प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त में अगर कैश शामिल है तो आयकर नोटिस आ सकता है। यहां तक कि शादी या किसी सामाजिक कार्यक्रम में 2 लाख रुपये या उससे अधिक का नगद भुगतान करना भी कानूनन गलत है।

यही नियम दोस्तों और रिश्तेदारों के बीच लागू है। अगर किसी ने 20,000 रुपये से अधिक का लोन नकद दिया या लिया हो तो भी कानून टूटता है। इसके अलावा अस्पताल में फीस या दान संस्थानों में अधिक राशि कैश देने पर भी विभाग जांच कर सकता है।

कैसे बचें आयकर नोटिस से

आयकर नोटिस से बचने का सबसे आसान तरीका है ज्यादा कैश लेन-देन न करना। हमेशा 2 लाख रुपये या बड़ी राशि बैंक चैनल जैसे कि NEFT, RTGS, UPI, चेक या ड्राफ्ट के माध्यम से ही स्वीकार या भुगतान करना चाहिए। इससे लेन-देन का रिकॉर्ड सुरक्षित रहता है और कानूनी जोखिम नहीं रहता।

व्यापारियों और प्रॉपर्टी डीलिंग करने वालों को सभी भुगतान और रसीद बैंक के माध्यम से रखने चाहिए। कोई भी खर्च अगर 10,000 रुपये से बड़ा है तो उसे नकद करने के बजाय ऑनलाइन या बैंक ट्रांसफर से करना ही बेहतर है। ऐसा करने से विभाग की नजरों में भी परेशानी नहीं आती।

डिजिटल भुगतान का महत्व

सरकार लगातार लोगों को डिजिटल भुगतान के लिए प्रेरित कर रही है। डिजिटल लेन-देन का फायदा यह है कि इसका पूरा रिकॉर्ड बैंक के पास रहता है, जिससे टैक्स संबंधी विवादों में आसानी रहती है। साथ ही, इससे नकली नोट, काला धन और अवैध लेन-देन को भी काफी हद तक रोका जा सकता है।

आज के समय में स्मार्टफोन और इंटरनेट की मदद से डिजिटल भुगतान बेहद आसान हो गया है। UPI, मोबाइल वॉलेट और ऑनलाइन बैंकिंग से तुरंत भुगतान किया जा सकता है। इससे न केवल सुरक्षा बढ़ती है बल्कि कानूनन भी लेन-देन पूरी तरह सुरक्षित रहता है। इसलिए कैश के बजाय डिजिटल मोड ही अपनाना सही है।

विशेषज्ञों की सलाह

वित्तीय विशेषज्ञ मानते हैं कि भविष्य में नकद लेन-देन पर और भी सख्ती बढ़ सकती है। सरकार ने डेटा ट्रैकिंग सिस्टम इतना मजबूत कर दिया है कि बड़े कैश ट्रांजेक्शन तुरंत पकड़े जाते हैं। इसी कारण विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि लोग धीरे-धीरे नकद लेन-देन की आदत छोड़ें और डिजिटल विकल्पों को अपनाएं।

अगर कोई व्यक्ति कैश का इस्तेमाल करता भी है तो उसे सीमा के अंदर और वजह स्पष्ट रखते हुए ही करना चाहिए। सभी लेन-देन का लिखित और बैंक रिकॉर्ड रखना जरूरी है। ऐसा करने से किसी भी जांच या ऑडिट में आसानी रहती है और टैक्स संबंधी मुश्किलें सामने नहीं आतीं।

डिस्क्लेमर: यह लेख केवल जानकारी के उद्देश्यों के लिए लिखा गया है। यहां दी गई जानकारी आयकर विभाग की आधिकारिक गाइडलाइंस और नियमों पर आधारित है। किसी भी वित्तीय निर्णय से पहले अपने टैक्स सलाहकार या विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लें। नकद लेन-देन करते समय हमेशा सरकारी नियमों का पालन करें।

TAGGED:
Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *