आधुनिक छात्रावास निर्माण में देरी, आदिवासी छात्रों को जर्जर भवन में रहना पड़ रहा

Saroj kanwar
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Dhaar News: सरदारपुर तहसील के ग्राम तिरला में 3 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाला 50-सीटर आदिवासी पोस्ट-मैट्रिक छात्रावास अब भी अधूरा है। निर्माण कार्य 2023 में शुरू हुआ था और इसे एक साल में पूरा किया जाना था, लेकिन दो साल बीत जाने के बाद भी ठेकेदार इसे पूरा नहीं कर सका। इस कारण गरीब आदिवासी छात्रों को जर्जर और असुविधाजनक भवन में रहना पड़ रहा है।

निर्माण कार्य में ठेकेदार की लापरवाही और विभागीय निरीक्षण में कमी के कारण काम धीमी गति से चल रहा है। भवन के कई हिस्सों में बारिश से सीलन आ चुकी है और गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं। पुराने छात्रावास में तीन छोटे कमरे 50 छात्रों के लिए उपलब्ध हैं। पलंग इतने पास रखे गए हैं कि बच्चों के चलने-फिरने में भी कठिनाई होती है। खुली जगह और जर्जर स्थिति के कारण जीव-जंतुओं का खतरा भी बना रहता है।

निर्माणाधीन भवन में लाइट फिटिंग, फिनिशिंग, फर्श, सैनिटरी फिटिंग, नल, बाउंड्रीवॉल और अंडरग्राउंड वाटर टैंक जैसे महत्वपूर्ण कार्य अभी अधूरे हैं। बाउंड्रीवॉल के लिए केवल गड्ढे खोदे गए हैं और जल आपूर्ति के लिए ट्यूबवेल का उपयोग किया जा रहा है, जो गर्मियों में पर्याप्त पानी नहीं देता।

पीआईयू के विभाग के सब इंजीनियर ने बताया कि भवन में ग्रेडिंग और वाटरप्रूफिंग का कार्य बाकी है। उन्होंने अंडरग्राउंड वाटर टैंक की आवश्यकता को ट्यूबवेल से पूरा करने की बात कही। वहीं, ग्रामीण और छात्र दोनों इस अधूरे निर्माण के कारण परेशान हैं और जल्द पूरा होने की उम्मीद कर रहे हैं।

इस स्थिति से छात्रों का अध्ययन और स्वास्थ्य दोनों प्रभावित हो रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि समय पर निर्माण कार्य और निगरानी न होने के कारण बच्चों को असुविधा उठानी पड़ रही है।

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