सातवें वेतन आयोग का कार्यकाल अब अपने अंतिम चरण में है। 31 दिसंबर, 2025 की समय सीमा जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, देशभर में लगभग 11.9 करोड़ केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के परिवारों में आठवें वेतन आयोग को लेकर चर्चा तेज हो गई है। सभी के मन में एक ही अहम सवाल है: क्या सरकार नए साल में फिटमेंट फैक्टर को 2.15 पर निर्धारित करेगी? यदि हां, तो चपरासी से लेकर वरिष्ठ अधिकारियों तक के मूल वेतन में कितना बड़ा बदलाव आएगा? इस लेख में, हम आठवें वेतन आयोग की संभावित वेतन संरचना और फिटमेंट फैक्टर के गणितीय विश्लेषण का विस्तार से अध्ययन करेंगे।
वेतन में भारी वृद्धि
सरकारी कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि की पूरी जिम्मेदारी इसी ‘फिटमेंट फैक्टर’ पर टिकी है। सरल शब्दों में कहें तो, यह एक जादुई संख्या या गुणक है। जब आपके वर्तमान मूल वेतन को इस निर्धारित संख्या से गुणा किया जाता है, तो आपका नया मूल वेतन निर्धारित होता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार सरकार मुद्रास्फीति, जीवन यापन की लागत और सरकारी खजाने की स्थिति को ध्यान में रखते हुए 2.15 का फिटमेंट फैक्टर लागू कर सकती है। उदाहरण के लिए, यदि किसी कर्मचारी का वर्तमान मूल वेतन ₹50,000 है और फिटमेंट फैक्टर 2.15 निर्धारित किया जाता है, तो उनका नया मूल वेतन सीधे बढ़कर ₹1,07,500 हो जाएगा। यह वृद्धि न केवल वित्तीय सुरक्षा प्रदान करेगी बल्कि कर्मचारी के जीवन स्तर को भी काफी मजबूत करेगी। यह फैक्टर आर्थिक कारकों और निजी क्षेत्र के वेतन मानकों के आधार पर निर्धारित किया जाता है।
किसके वेतन में कितनी वृद्धि होगी?
नए वेतन आयोग के लागू होने के बाद वेतन मैट्रिक्स पूरी तरह से बदल जाएगा। जहां प्रवेश स्तर के कर्मचारियों के वेतन में दोगुने से अधिक की वृद्धि होने की उम्मीद है, वहीं वरिष्ठ अधिकारियों के वेतन में भी रिकॉर्ड तोड़ वृद्धि देखने को मिल सकती है।
लेवल 1 के कर्मचारी, जिनका वर्तमान मूल वेतन ₹18,000 है, उनका नया वेतन ₹38,700 से अधिक हो जाएगा। इसी प्रकार, लेवल 6 के कर्मचारियों का मूल वेतन ₹35,400 से बढ़कर ₹76,110 हो सकता है। वरिष्ठ अधिकारियों की बात करें तो, लेवल 15 के अधिकारियों का मूल वेतन ₹1,82,200 से बढ़कर लगभग ₹3,91,730 हो सकता है। उच्चतम स्तर, लेवल 18 के अधिकारियों का मूल वेतन ₹2.5 लाख से बढ़कर ₹5,37,500 होने का अनुमान है।
महंगाई भत्ता (DA), गृह किराया भत्ता (HRA) और पेंशन पर क्या असर पड़ेगा?
मूल वेतन में बदलाव का असर सिर्फ मूल वेतन तक ही सीमित नहीं रहता। दरअसल, महंगाई भत्ता (DA), मकान किराया भत्ता (HRA) और सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाली पेंशन की गणना भी इसी मूल वेतन के आधार पर की जाती है। इसका मतलब यह है कि अगर 2.15 का फिटमेंट फैक्टर स्वीकृत हो जाता है, तो भत्तों में हुई वृद्धि से कर्मचारियों की कुल टेक-होम सैलरी में भारी बढ़ोतरी होगी।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह अब तक की सबसे बड़ी वेतन वृद्धि साबित हो सकती है, क्योंकि मूल वेतन में वृद्धि से भविष्य निधि (PF) और ग्रेच्युटी जैसे दीर्घकालिक लाभों में भी उल्लेखनीय वृद्धि होगी। इससे पेंशनभोगियों को भी काफी राहत मिलेगी, क्योंकि उनकी मासिक पेंशन में भी आनुपातिक वृद्धि होगी।
नई प्रणाली कब लागू होगी?
तकनीकी रूप से, 7वें वेतन आयोग का कार्यकाल 31 दिसंबर, 2025 को समाप्त हो रहा है। इसका मतलब है कि नई दरें 1 जनवरी, 2026 से प्रभावी होनी चाहिए। हालांकि, सरकारी प्रक्रियाओं और सिफारिशों को अंतिम मंजूरी मिलने में अक्सर समय लगता है। इतिहास गवाह है कि आयोग की सिफारिशों को लागू होने में कभी-कभी एक से दो साल लग जाते हैं।
लेकिन कर्मचारियों के लिए राहत की बात यह है कि घोषणा में देरी होने पर भी सरकार इसे पूर्वव्यापी रूप से लागू करती है। ऐसे मामलों में, कर्मचारियों को बढ़ी हुई राशि बकाया के रूप में, एकमुश्त मिलती है, जिससे उन्हें काफी बचत होती है।