Kisan News : सबके पसंदीदा फल की मार्केट में है जबरदस्त डिमांड, कम लागत में डाल देती है झोली में लाखों-करोड़ो

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सबके पसंदीदा फल की मार्केट में है जबरदस्त डिमांड, कम लागत में डाल देती है झोली में लाखों-करोड़ो। चीकू की खेती मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु वाले क्षेत्रों में की जाती है। भारत में इसकी खेती महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में अधिक होती है। चीकू का वैज्ञानिक नाम Manilkara zapota है, और इसे विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे सपोटा, सपोडिला, नसीबेरी आदि। आइए इसकी खेती के बारे में विस्तार से जानते है।

चीकू की खेती के लिए आवश्यक जलवायु और मिट्टी

चीकू गर्म और आर्द्र जलवायु में अच्छी तरह से बढ़ता है। अच्छी जल निकासी वाली दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सर्वोत्तम होती है। pH मान लगभग 6.0 से 8.0 के बीच उपयुक्त होता है। पानी ठहरने वाली भूमि चीकू के लिए सही नहीं होती।

चीकू की खेती कैसे करें

मानसून में जून-जुलाई और बसंत फरवरी-मार्च के समय पौधे लगाना उचित होता है। पौधे 8-10 मीटर की दूरी पर लगाए जाते हैं। गड्ढे का आकार 60×60×60 सेमी रखें और उसमें गोबर खाद मिलाकर भरें। गर्मियों में 10-15 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें। सर्दियों में 20-25 दिन के अंतराल पर सिंचाई की जरूरत होती है।

मानसून के दौरान सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती। चीकू के पौधे 3-4 साल में फल देना शुरू कर देते हैं। फलों की तुड़ाई जब वे हल्के भूरे रंग के हो जाएं और चिपचिपे न हों, तब करनी चाहिए। प्रति हेक्टेयर 10-15 टन चीकू की उपज मिल सकती है। चीकू की बाजार में अच्छी मांग होती है, जिससे किसानों को अच्छा मुनाफा होता है।

चीकू का उपयोग

चीकू के ताजे फल खाने के अलावा, इसका उपयोग जैम, जूस, आइसक्रीम, मिठाइयों और औषधियों में किया जाता है।

चीकू से कमाई

चीकू की खेती अगर आप करते है तो आपको बता दे की इसमें आपको प्रति एकड़ 18160 रूपए की लागत आएगी जिसके बाद आप आराम से प्रति हेक्टेयर 8 लाख रूपए कमा सकते है।

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