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किसानो की आमदनी बढ़ाने के लिए अब सरकार लगवायेगी खेतो में सोलर पम्प

 

 बंजर भूमि और अच्छी हरियाली खेती के लिए सोलर पंप किसी वरदान से कम नहीं है। देश भर के में कई किसान भाइयों ने सुविधा को खेत में अपनाकर अपने बेजान भूमि  में जान डाल  दी है बल्कि अच्छी कमाई कर रहे हैं। अगर आप सोच रहे हैं कि खेत में काम  करने के लिए सौर लगवाना  एक साधारण किसान के जेब से बाहर तो गलत है। दरअसल सरकार ने निर्धन किसानों को सोलर पंप लगवाने के लिए पीएम किसान योजना को शुरू किया है। इसके सरलता से पंप लगवा सकते हैं।  

गोवा में नारियल की बागवानी फसल में सबसे अधिक की जाती है

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारत सरकार की इस योजना से जुड़कर किसान सोलर पंप के लिए बेहतर सब्सिडी के साथ अन्य कई तरह के लाभ भी पा सकते हैं। इस कड़ी में गोवा सरकार ने प्रदेश की किसान भाइयों को इस योजना से सोलर वाटर पंप लगाने का ऐलान किया है। ज्यादातर लोग सोचते हैं कि गोवा सिर्फ बीच कपल पर घूमने की जगह होती है। लेकिन असल में गोवा में अपने कई का बेहतरीन कामों की वजह से जाना जाता है।  उन्हीं में से एक का खेती किसानी है। गोवा में नारियल की बागवानी फसल में सबसे अधिक की जाती है। मिली जानकारी के मुताबिक यहां के लगभग 25730 हेक्टर क्षेत्रफल में सिर्फ किसान नारियल की खेती करते हैं  इसी के साथ यहां नारियल का करीब 5014 कि.ग्रा प्रति हैक्टर तक औसत उत्पादन भी होता है। 

 गोवा के विभिन्न इलाकों में करीब 200 सोलर पंप लगाने का राज्य सरकार ने निर्णय लिया है ताकि राज्य के किसान सिंचाई संबंधित कार्यों में किसी पर निर्भर ना रहें और साथ में बिजली बचत कर सके।  उन्हें अनुमान है कि जिनमें किसान भाइयों के पास ग्रिड से जुड़े  कृषि पंप मौजूद है  उन्हें सौरीकरण करने में पूरा समर्थन मिलेगा।

किसानों ने किया सोलर पंप के लिए आवेदन


केंद्र सरकार के द्वारा गोवा में 200 सोलर पंप लगाने की मंजूरी के बाद से ही राज्य में अब तक कई किसानों ने आवेदन कर दिया गया है। सरकार की तरफ से पूरे गोवा में पंप लगाने में लागत करीब 4 करोड़ रुपए तक आएगी। यह राशि किसानों को पीएम-कुसुम योजना  के तहत वितरित की जाएगी।  बता दें कि इस योजना के तहत किसानों को राज्य ने ऑफ ग्रिड सिस्टम के लिए साथ गोवा में परियोजना स्थलों पर 1-10HP के सौर फोटोवोल्टिक जल पंपिंग सिस्टम के डिजाइन, आपूर्ति, परिवहन, स्थापना, परीक्षण और साथ ही कमीशनिंग का भी ध्यान रखा गया है।  बताया जा रहा है कि इन सभी सौर पैनलों के लिए बोलीदाता व्यवहार्यता अध्ययन की पूरी जिम्मेदारी होगी।