अब नीम्बू घास की खेती के लिए सरकार दे रही है इतना अनुदान ,बंजर भूमि में फैल जाएगी हरियाली

हमारे देश के किसान पारंपरिक फसलों की खेती करने के साथ-साथ अन्य मुनाफा देने वाली फसलों की खेती करके अपने आमदनी बना सकते हैं। आज किसान खेती से अतिरिक्त आमदनी प्राप्त करने के लिए पारंपरिक फसलों के साथ बागवानी फसलों की खेती भी कर रहे हैं। आज हम यहां पर बात करेंगे ऐसी औषधि फसल नींबू ग्रास की जिस की खेती करके किसान अच्छा खासा लाभ मुनाफा कमा सकते हैं। नींबू घास की खेती बंजर जमीन पर भी हो सकती है और बढ़िया उपज और आमदनी प्राप्त कर सकते हैं। नींबू घास खेती का सबसे बड़ा लाभ है यह है की इसकी फसल की खेती में ज्यादा सिंचाई करने की जरूरत नहीं होती हो ना ही कीटनाशक दवाओं की। कोई जानवर भी घास को नहीं खाते , जिसके कारण किसान खुले खेत में भी इसकी खेती आसानी से कर सकते है। इस कड़ी में बिहार राज्य पर राज्य में नींबू घास की खेती करने वाले किसानों को सब्सिडी दे रहा है।
नरेंद्र मोदी ने भी झारखंड की महिला किसान जो नींबू घास की खेती कर रही थी उनकी तारीफ की थी
पिछले साल जुलाई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी झारखंड की महिला किसान जो नींबू घास की खेती कर रही थी उनकी तारीफ की थी। बात नींबू घास की खेती करें तो केवल झारखंड ही नहीं बिहार के किसान भी नींबू की खेती बड़े पैमाने पर कर रहे हैं। खासकर बंजर भूमि पर खेती करने से अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है। बिहार के बांका, कटोरिया, फुल्लीडुमर, रजौन, धोरैया, सहित अन्य जिलों के किसान में नींबू घास की खेती कर रहे हैं। राज्य में बेकार पड़ी बंजर भूमि में नींबू घास की खेती करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से बिहार सरकार निम्बू घास की खेती करने वाले किसानों को प्रति एकड़ की दर से ₹8000 की सब्सिडी प्रदान कर रही है। जानकारी के मुताबिक नींबू घास की खेती का रकबा बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार भी महत्व दे रही है आज तेजी से बंजर व कई वर्षों से खाली पड़े खेत में नींबू घास की खेती ने क्षेत्र में हरियाली ला दी है।
नींबू घास के तेल में सिट्रोल पाया जाता है जो लगभग 60 से 80 पर्सेंट तक पाया जाता है
नींबू घास एक प्रकार का औषधीय फसल है जिसका तेल निकालकर कई तरीकों से काम में लिया जाता है। नींबू घास के तेल से औषधि निर्माण ,दवाइयां ,घरेलू उपयोग ,साबुन और तेल उत्पादन बनाने जैसे कई प्रकार के काम किए जाते हैं ,नींबू घास के तेल में सिट्रोल पाया जाता है जो लगभग 60 से 80 पर्सेंट तक पाया जाता है । सिट्रोल विटामिन ए का मुख्य स्रोत है। नींबू घास की खेती करते समय किसानों को कोई भी अतिरिक्त खर्च जैसे सिंचाई। कीटनाशक उर्वरक आदि की जरूरत नहीं होती है नींबू घास की खेती में सिंचाई व खाद झंझट नहीं होती इसकी फसल कम पानी वाले इलाके में भी आसानी से विकसित हो जाती है। इसकी खेती का सबसे बड़ा लाभ यह है इसकी फसल को जानवर की क्षति होने का डर नहीं होता बताया जाता है कि इसकी फसल कोई भी जानवर नहीं खाते हैं।
नींबू घास की फसल की एक बार बुवाई करने के बाद 5 से 6 बार तक कटाई की जा सकती है
इसके अलावा नींबू घास की फसल की एक बार बुवाई करने के बाद 5 से 6 बार तक कटाई की जा सकती है। बिहार के प्रगतिशील किसान ने बताया कि नींबू घास की खेती यदि आप एक एकड़ में करते हैं तो 100 लीटर तेल में नींबू घास मिल जाएगी। नींबू घास की खेती किसानों के लिए लाभदायक है इसके अलावा निंबू घास की खेती करने वाले किसानों को कृषि विभाग की सहायता भी मिलती है इसलिए जिन किसानों के पास बेकार खाली पड़ी है और बंजर भूमि है अभी नींबू घास की खेती करके जमीन के साथ अपनी आय और हरियाली भी ला सकते हैं।
नींबू घास की खेती में लागत
सूखाग्रस्त क्षेत्रों में नींबू घास की खेती करने से खर्च कम और फायदे अधिक मिलते हैं, लेकिन शुरुआत में खाद-बीज आदि मिलाकर इसकी एक एकड़ खेत में 30,000 से 40,000 तक का खर्च आ सकता है।
1 एकड़ खेत पर इसकी खेती के लिये करीब 10 किलो बीज की जरूरत पड़ती है, जिससे 55 से 60 दिनों में नींबू घास का पौधा रोपाई के लिए तैयार हो जाता है।
किसान चाहें तो प्रमाणित नर्सरी से भी नींबू घास के पौधे खरीद सकते हैं।
नर्सरी में पौधे तैयार करने के बाद जून-जुलाई के महीने में नींबू घास के पौधों की रोपाई की जाती है।
रोपाई के बाद नींबू घास को तैयार होने में 70 से 80 दिन लग जाते हैं, साथ ही मानसून में बारिश के पानी से ही इसकी सिंचाई होती रहती है।
1 साल में नींबू घास की फसल की 5 से 6 बार कटाई करके पत्तियां निकाली जा सकती हैं।
बंजर या कम उपजाऊ वाले खेत में एक बार नींबू घास की रोपाई करने पर इसकी फसल अगले 6 सालों तक मोटा मुनाफा देती है।
नींबू घास की अच्छी पैदावार के लिए खेत में गोबर की खाद और लकड़ी की राख डालने की सलाह दी जाती है।