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अब केंद्र सरकार किसानो को देगी आधे दामों नेनो डीएपी ,है जमीन और सेहत के लिए भी फायदेमंद

 

किसानों को सस्ता खाद्यान्न उपलब्ध कराने के लिए सरकार की ओर से सब्सिडी दी जाती है।  किसानों के लिए फसल उत्पादन में यूरिया डीएपी का बड़ा महत्व है। इसके प्रयोग से फसलों का उत्पादन बढ़ता है किसानों को सस्ता  खाद मिले इसके लिए केंद्र  केंद्र सरकार करोड़ रुपए, उर्वरक सब्सिडी के रूप में खर्च करती हैके डीएपी की बढ़ती मांग के कारण किसानों की  इसकी उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार ने नैनो तरल डीएपी को मंजूरी दे दी है। नैनो डीएपी बोरि यां बैग  में मिलने वाले दानेदार डीएपी से काफी सस्ता और फसलों के लिए बेहतर बताया जा रहा है। साधारण डीएपी की तुलना  में नैनो डीपी आधी से भी कम कीमत में किसानों को मिलेगा। नैनो डीएपी की खास बात यह है कि इन लिक्विड फॉर्म में आता है जबकि साधारण डीएपी दानेदार फॉर्म में आता है। नैनो डीएपी की आधे लीटर की बोतल ₹600 में मिल जाएगी वहीं दानेदार डीएपी की 50 किलो की बैग की कीमत1350 रूपये है  जबकि नैनो डीएपी के आधे लीटर की बोतल 50 किलो दाने डीएपी के बराबर काम करेंगी । ऐसे में किसानों को दानेदारडीएपी की तुलना में आधे से भी कम रेट पड़ रहा है। 

इसमें केमिकल का उपयोग नाम मात्र के बराबर होगा 

नेनो  डीएपी का एक और  फायदा यह है कि इसमें केमिकल का उपयोग नाम मात्र के बराबर होगा। इसके उपयोग से खेत की भूमि को कोई खतरा नहीं है जबकि केमिकल से बनी यूरिया डीएपी के अधिक उपयोग से भूमि की उर्वरा शक्ति कम होती है और एक समय ऐसा आता है कि खेत बंजर हो जाते हैं। यही कारण है कि नैनो डीएपी तरल का इस्तेमाल फसलों के लिए काफी अच्छा बताया जा रहा है। पिछले दिनों जब 20 अप्रैल को केंद्रीय गृह सहकारिता मंत्री अमित शाह द्वारा नई दिल्ली में इसको नैनो डीएपी का लोकार्पण किया गया इस अवसर पर सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि इसको डीएपी प्रोडक्ट का लांच फ़र्टिलाइज़र के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण शुरुआत है।सहकारिता मंत्री ने बताया कि तरल डीएपी के प्रयोग से  पौधे पर छिड़काव के जरिए उत्पादन की क्वालिटी और उसकी मात्रा दोनों को बढ़ाने के साथ ही भूमि का संरक्षण किया जा सकेगा। 

दानेदार यूरिया की डीएपी  की जगह लिक्विड यूरिया व डीएपी का उपयोग करें

इससे भूमि को पूर्वव्रत करने में बड़ा योगदान मिलेगा। वह केमिकल फर्टिलाइजर युक्त भूमि होने के कारण करोड़ों भारतीयों की स्वच्छता को जो खतरा बन रहा है। वह समाप्त हो जाएगा। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने किसानों से अपील की है कि वे दानेदार यूरिया की डीएपी  की जगह लिक्विड यूरिया व डीएपी का उपयोग करें यह उससे अधिक प्रभावी है । दानेदार यूरिया के इस्तेमाल से भूमि के साथ-साथ फसल और उस अनाज को खाने वाले व्यक्ति के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचता है। जबकि नैनो यूरिया डीएपी इस्तेमाल इस समस्या को दूर किया जा सकता है।नैनो तरल डीएपी की 500 मिली. की एक बोतल का फसल पर असर 45 किलो दानेदार यूरिया की बोरी के बराबर है। इस तरह की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसकी 500ml की बोतल 50 किलोग्राम डीएपी की एक बोरी जितनी प्रभावी है यानी जो काम 50 किलोग्राम डीएपी करता है वह  कम  कीमत 500ml की छोटी बोतल भी करती है खास बात यह है कि नैनो डीएपी से  में से एक की सेहत अच्छी रहती है और गुणवत्तापूर्ण उत्पादन होता है जो लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। 

2023 में करीब 17 करोड नैनो यूरिया की बोतल बनाने का इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा कर लिया गया

 24 फरवरी 2021 को नैनो यूरिया को मंजूरी मिली थी अब 2023 में करीब 17 करोड नैनो यूरिया की बोतल बनाने का इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा कर लिया गया। अगस्त 2021 में नियमों को यूरिया की मार्केटिंग शुरू की गई थी।  24 फरवरी 2021 को नैनो यूरिया को मंजूरी मिली थी अब 2023 में करीब 17 करोड़ निर्णय यूरिया की पुत्र मनाने का इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा कर लिया गया अगस्त 2021 में नियमों को यूरिया की मार्केटिंग शुरू की गई थीऔर 2023 तक करीब 6 पॉइंट 3 करोड़ बोतलों का निर्माण किया जा चुका है।  इससे 6.3 करोड़ यूरिया के बैग की खपत और इसके आयात को कम कर दिया गया है और देश के राजस्व व फॉरेन करेंसी की बचत हुई है। वहीं देश में 2021-22 में यूरिया का आयात भी सात लाख मैट्रिक टन कम हुआ है। अब तरल डीएपी के माध्यम से करीब 90 लाख मीट्रिक दानेदार डीएपी के उपयोग को कम करने का लक्ष्य रखा गया है। देश में 18 करोड़ तरल डीएपी की बोतलों का उत्पादन किया जाएगा।