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यहां जाने क्या होती है चकबंदी ,सरकार कैसे बनाती है ये नियम

 

भारत में किसानों की  भूमि के स्तर को देखते हुए यह संगठित करने के लिए कानून सबसे पहले पंजाब प्रांत में प्रायोगिक रूप से शुरू किया गया था। भारत में किसानों के हित को देखते भारत में 'चकबंदी कानून 'को लाया गया। आज भारत में अधिकतम राज्य को यह चकबंदी का कार्यक्रम सरकार समय-समय पर करती रहती है। इससे बहुत से किसानों को लाभ तो कई किसानों को नुकसान भी हो जाता है। 

भारत में चकबंदी कानून सर्वप्रथम पंजाब प्रांत में एक ऐसे प्रयोग के रूप में इसे 1920 में शुरू किया गया था। इस समय भारत में अंग्रेजी सरकार की उम्र थी उस समय सरकार द्वारा बनाए गए सभी नियम लगभग अंग्रेजी हुकूमत को लाभ पहुंचाने वाली ही होती थी। इसी पर आया कि नियम की सफलता के बाद सरकार ने इसे 1930 में लागू करने का मन बना लिया साथ ही अन्य अपराधों में भी लागू करने के विचार से आगे बढ़ाया गया। लेकिन  पंजाब में कुछ हद तक सफलता प्राप्त हुई। 

स्वतंत्रता के बाद चकबंदी


भारत से अंग्रेजों का शासन समाप्त होने के बाद सरकार ने चकबंदी के नियम में कुछ ख़ास बदलाव किए।  इन्हीं बदलावों के साथ सरकार ने सबसे पहले बंबई में सन 1947 में पारित नियम में यह घोषणा की गयी जहां उचित हो वहां चकबंदी को लागू किया जा सकता है। इस घोषणा के बाद कुछ प्रदेशों में इस नियम को लागू भी किया गया. उस समय यह नियम को पंजाब, उत्तर प्रदेश, प. बंगाल, बिहार एवं हैदराबाद में लागू किया गया।  भारत सरकार के एक आंकड़े के अनुसार सन 1956 तक 110.09 लाख एकड़ की भूमि चकबंदी क्षेत्र में आ गयी थी।  वहीं अगर हम चकबंदी क्षेत्र भूमि की बात वर्ष 1960 तक में करें तो यह आंकड़ा 230 एकड़ तक का हो गया। 
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चकबंदी अधिनियम किन राज्यों में लागू नहीं है


भारत में यह अधिनियम सभी राज्यों के लिए मान्य नहीं है।  इस अधिनियम को सरकार ने कुछ राज्यों के लिए ऐच्छिक रूप से और कुछ राज्यों के लिए अनिवार्य रूप से लागू किया था. भारत में नागालैण्ड, आन्ध्र प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम, केरल, अरुणाचल प्रदेश, तमिलनाडु, त्रिपुरा और मेघालय में चकबंदी से सम्बंधित कोई क़ानून नहीं है।