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खेत में डीपी और खम्भा होने पर भी किसानो को मिल सकते है 5 से 10 हजार हर महीने ,यहां जाने इसके बारे में पूरी जानकारी

 

अगर आप किसानों को खेती में डीपी या खम्भा है तो किसानों को विद्युत अधिनियम के तहत 2003 की धारा 57 के तहत  बहुत लाभ मिल सकता है। लेकिन बहुत से किसानों को इस नियमों की जानकारी नहीं है। ऐसे भी किसान हैं जिन्हें कानून की जानकारी है लेकिन प्राप्त करने के तरीके नहीं जानते तो आज हम आप को किसानों को इन नियमों के बारे में इस आर्टिकल के बारे में बताने वाले हैं। खासकर के 2003 की धारा 57 के बारे में बताने जा रहे हैं। 

30 दिनों के भीतर किसान को कनेक्शन प्राप्त होना चाहिए

किसान  द्वारा कनेक्शन के लिए लिखित आवेदन की तारीख की से 30 दिनों के भीतर किसान को कनेक्शन प्राप्त होना चाहिए नहीं मिलने पर कानून कहता है कि किसानों को प्रति सप्ताह ₹100 का मुआवजा दिया जाएगा साथ ही   ट्रांसफर में कोई फॉल्ट है तो कंपनी 48 घंटे के अंदर आपको ट्रांसफार्मर में काम करके देगी  नहीं मिलने पर इसकी एक्ट के तहत ₹50 की अनुशंसा भी की गई है। विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 57 एवं अनुसूची क्रमांक 32 दिनांक  07/06/2005  के अनुसार विद्युत कृषकों को कंपनी के मीटर पर निर्भर रहने के स्थान पर अपना स्वयं का स्वतंत्र मीटर लगाने का अधिकार दिया गया था। 

डीपी और पीओएल मिलकर किसानों को प्रति माह 2000 रुपये से 5000 रुपये बिजली मिलती है


कंपनी मीटर और घर के बीच के बिल की लागत भी वहन  करती है। ग्राहक नियम और शर्तों में सर्च संख्या 21 यही बताती है उसके बाद अगर नया बिजली कनेक्शन यानी घरेलू कनेक्शन लेना हो तो 15 सो रुपए व कृषि पंप के लिए ₹5000 टोल और अन्य खर्चे भी इस कंपनी कानून के मुताबिक करती है। डीपी और पीओएल मिलकर किसानों को प्रति माह 2000 रुपये से 5000 रुपये बिजली मिलती है। बहुत किसानो को इसकी जानकारी नहीं है। अगर कोई कंपनी बिजली को एक खेत से दूसरे खेत तक पहुंचाना चाहती है तो  तो उसे स्टेशनों, ट्रांसफार्मर, डीपी और खंभों को भी जोड़ना होगा। तो इस  जमीन का किराया प्राप्त करने के लिए कंपनी किसानों के जमीन का किराया समझौता करती है उसके तहत किसानों को दो से ₹5000 मिलते हैं । अगर आप बिजली कंपनी को अनापत्ति प्रमाण पत्र यानी NOC सर्टिफिकेट दिया है तो आप उस कंपनी से किराया नहीं वसूल सकते है।