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भारत में अब E20 FUEL से चलने वाली गाड़ियों का हो सकता है इस्तेमाल ,यहां जाने क्या होता है ये

 

भारत में इलेक्ट्रिक वाहन का चलन काफी तेजी से बढ़ रहा है लेकिन इलेक्ट्रिक के बाद अब हाइड्रोजन से चलने वाली गाड़ियां भी चर्चा में आई है इसको लेकर सरकार और वाहन निर्माता कंपनी   दोनों काफी काम कर रही है लेकिन बहुत से लोगों को एथेनॉल फ्यूल  के बारे में पूरी तरह से जानकारी नहीं है। यह फ्यूल क्या है और कैसे बनता है ? इसके बाद के इसका इस्तेमाल कैसा होता है इसके लिए गाड़ी के इंजन में कोई बदलाव करने की जरूरत है इसके बारे में हम आपको बताते हैं। 

चीनी के उत्पादन से बचा हुआ वेस्ट ,कचरा या उप उत्पाद पेट्रोल का ऑप्शन है

एथेनॉल एक एक अलग प्रकार का इंधन है इसके इस्तेमाल से प्रदूषण कम होता है यानी इससे वाहन भी चलाया जा सकता और पर्यावरण को नुकसान भी नहीं पहुंचता। चीनी के उत्पादन से बचा हुआ वेस्ट ,कचरा या उप उत्पाद पेट्रोल का ऑप्शन है। इसे ईंधन में मिलाकर ऑप्शन के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है।  कीमत की बात करें तो यह काफी सस्ता होगा इसको फसल की मदद से घरेलू स्तर पर उत्पादित किया जा सकता है इसके कारण कच्चे तेल की तरह आयत करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। पेट्रोल में एक निश्चित प्रतिशत एथेनॉल मिलाया जा सकता है E20 के इस मामले में यह 20 प्रतिशत एथेनॉल और 80 प्रतिशत गैसोलीन है। 

एथेनॉल एक तरह का अल्कोहल है


एथेनॉल एक तरह का अल्कोहल है, जिसे पेट्रोल से मिलाकर गाड़ियों में फ्यूल की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है।  एथेनॉल का प्रोडक्शन ऐसे तो मुख्य रूप से गन्ने की फसल से होता है लेकिन इसे शर्करा वाली अन्य फसलों  से भी तैयार किया जा सकता है इसके कारण खेती और  पर्यावरण को भी काफी फायदा होगा। 

यह गैसोलीन और  मेथनॉल के साथ मिलकर तैयार किया जाता है


आज के समय में फ्लेक्स फ्यूल को पेट्रोल डीजल के ऑप्शन के तौर पर देखा जा रहा है। यह गैसोलीन और  मेथनॉल के साथ मिलकर तैयार किया जाता है। इस तरह के ईंधन से पेट्रोल का इस्तेमाल कम होगा और कॉस्ट भी कम होगी।  इतना ही नहीं फ्लेक्स ऑयल इंजन वाली कार बिना किसी दिक्कत के अपने मानक में उनके अलावा दूसरे ईंधन से भी चल सकती है थे। इथेनॉल को गन्ने से तैयार किया जाता है इसके अलावा शर्करा वाली फसलों जैसे चुकंदर ,फल , खजूरों ,नारियल से  भी इसे तैयार किया जाता है। ग्रीन ग्रोथ मिशन के अंतर्गत सरकार ने इस बजट में भी एथेनॉल के आयात शुल्क को कर मुक्त करने का भी प्रस्ताव रखा है, जिसके कारण एथेनॉल के इस्तेमाल को बढ़ावा मिल सके। कम कार्बन उत्सर्जन की वजह से यह पर्यावरण में प्रदूषण कम फैलाता है। साल 2022 तक पेट्रोल में 10 प्रतिशत एथेनॉल का इस्तेमाल किया जाता था, जिसे सरकार द्वारा साल 2025 तक 20 प्रतिशत कर दिया जाएगा। लेकिन इससे पहले लक्ष्य साल 2030 तक रखा गया था। 1 अप्रैल 2023 से देश के कुछ पेट्रोल पंप पर 20 प्रतिशत एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल मिलना शुरू हो जाएगा।