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फूलमती के दर्शन करके आप खुश कर सकते है शनि देव को यहां जाने क्या है मान्यता

 

पुराणों के अनुसार ज्येष्ठ मास की कृष्ण पक्ष का  की अमावस्या को शनि  देव का जन्म हुआ था। उत्तर भारतीय भारतीय पूर्णिमांत पंचांगों  के अनुसार इस साल 19 मई शुक्रवार को श्रद्धालुओं द्वारा शनि जयंती मनाई गई। शनि  की चाल ज्योतिष के अनुसार  क्रूर मानी जाती है , लेकिन यह दानोपाय  से शीघ्र ही प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी कष्ट दूर करते हैं। 

शनि देव के दर्शन मात्र से व्यक्ति के सारे कष्ट दूर होते हैं

दुनिया भर में शनिदेव की कई ऐसे मंदिर है जहां शनि देव के दर्शन मात्र से व्यक्ति के सारे कष्ट दूर होते हैं। एक ऐसा ही मंदिर जीवन में फूलमती माता मंदिर का है। यहां मान्यता है कि माता फूलमती के दर्शन उपरांत जो भी भक्त शनि देव के दर्शन कर जल चढ़ाता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। यहां लोग भगवान शनि की मूर्ति पर काला तिल चढ़ाते हैं सरसों के तेल से शनि देव का स्नान करते हैं और दान करते हैं। 

बता दें की  ज्योतिष में सूर्य राजा है तो शनि दंडनायक और राजा स्वयं  दंड नहीं देता बल्कि आदेश देता है। इसी व्यवस्था के अंतर्गत शनिदेव  अपने गोचर एवं महादशाओं में आकर मनुष्यको उसके कर्म अनुसार फल देते हैं लेकिन रीवा  के फूलमती मंदिर की मान्यता है कि माता की आराधना करने के बाद शनिदेव की पूजा विधि के अनुसार करने पर माता फूलमती और शनिदेव की कृपा एक साथ बढ़ती  है और उस व्यक्ति के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।