अधिक मास की चतुर्थी पर करे भगवान गणेश जी के इस रूप की पूजा ,मिलेगी हर संकट से मुक्ति

4 अगस्त को सावन महीने की दूसरी संकष्ट चतुर्थी है। दूसरी इसलिए क्योंकि यह अधिक मास वाली चतुर्थी है और इस कारन इस चतुर्थी पर व्रत रखकर गणेश जी की विभुवन रूप में पूजा की जाती है यानी भगवान विष्णु के साथ गणेश जी का पूजन करने का विधान है। सावन की चतुर्थी होने से पापनाशिनी चतुर्थी भी कहते हैं। भगवान शिव ने संकष्ट चतुर्थी व्रत के बारे में बताते हुए कहा था कि सावन में इस व्रत को करने से हर तरह के पास खत्म हो जाते हैं।
गणेश की विशेष पूजा और तिल के लड्डुओं का भोग लगाकर ब्राह्मणों को लड्डू का दान
भगवान गणेश की विशेष पूजा और तिल के लड्डुओं का भोग लगाकर ब्राह्मणों को लड्डू का दान करने से हर तरह की परेशानियां दूर हो जाती है। सावन महीने की संकष्ट चतुर्थी पर भगवान विष्णु के साथ गणेश जी की पूजा होती है। इसके बाद भगवान शिव पार्वती का पूजा का विधान है। भगवान शिव पार्वती की पूजा सुगंधित फूल और सौभाग्य बढ़ाने वाली सामग्रियों के साथ करनी चाहिए। गणेश जी की पूजा के बारे में भगवान शिव ने सनत कुमार को बताया कि इस चतुर्थी पर पूरे दिन बिना कुछ खाए पूरे दिन व्रत रखे और शाम को पूजा के बाद ही भोजन करना चाहिए। सुबह जल्दी उठकर काले तिल से स्नान करें। सोने ,चांदी ,तांबा या मिट्टी की गणेश जी की मूर्ति बनवाएं।
सच्चे मन से ध्यान करने से व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है और लाभ प्राप्ति होती है
इसके बाद भगवान गणेश की पूजा करें। फिर गणेश जी को तेल और घी से बने लड्डू का भोग लगाएं। इसके बाद ब्राह्मणों को लड्डू दान करें। संकट चतुर्थी व्रत में भगवान शिव की पूजा भी की जाती है। ज्योतिष के मुताबिक ,संकष्ट चतुर्थी का मतलब होता है। संकट को हरने वाली चतुर्थी संकष्ट संस्कृति भाषा से लिया गया शब्द है जिसका अर्थ है कठिन समय से मुक्ति पाना। इस दिन भक्त अपने दुखों से छुटकारा पाने के लिए गणपति जी की आराधना करते हैं। गणेश पुराण के अनुसार ,चतुर्थी के दिन गौरी पुत्र गणेश की पूजा करना फलदाई होता है। इस दिन उपवास करने का और भी महत्व होता है। भगवान गणेश को समर्पित इस व्रत में श्रद्धालु अपने जीवन की कठिनाइयों और बुरे समय से मुक्ति पाने के लिए उनकी पूजा-अर्चना और उपवास करते हैं। कई जगहों पर इसे संकट हरा कहते हैं तो कहीं से संकट चौथ भी कहते हैं। इस दिन भगवान गणेश का सच्चे मन से ध्यान करने से व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है और लाभ प्राप्ति होती है।