Movie prime

शीतला माता की पूजा है बदलते मौसम में बीमारियों और संक्रमण से बचाव

 

शीतला माता की पूजा मंगलवार और बुधवार को है।  ग्रंथों के मुताबिक मान्यता है की इनकी पूजा से सुख समृद्धि बढ़ती है साथ ही व्रत करने वालों की भी परिवार में बड़ी बीमारी नहीं होती। इस वर्ष 1 दिन पहले देवी के नैवेध और परिवार वालों के लिए खाना बना लिया जाता है फिर सप्तमी अष्टमी तिथि में ठंडे खाने का भोग लगाया जाता है इस दिन घर के सभी लोग सिर्फ ठंडा खाना ही खाते है। 

शीतला सप्तमी या अष्टमी पर घर में ताजा भोजन नहीं बनता है

 पुराणों के मुताबिक सीतला माता का रूप शीतल और बीमारियों को दूर करने वाला है। इनका वाहन गधा है और इनके हाथों में कलश और  झाडू और नीम के पत्ते रहते हैं इनकी पूजा खासतौर से गर्मी के मौसम में होती है इसलिए हिंदू पंचांग के मुताबिक क्षेत्र महीने की कृष्ण पक्ष की सप्तमी अष्टमी को बासोड़े का पूजन किया जाता है। शीतला सप्तमी या अष्टमी पर घर में ताजा भोजन नहीं बनता है इस दिन ठंडा खाने की परंपरा है। इसकी वजह है कि सीतलामाता को ठंडक खाना पसंद है इसलिए सीता माता को देवी माता को प्रसन्न करने के लिए ठंडी चीजों का भोग लगाते हैं। 

चेचक और आंखों की बीमारियां नहीं होती। शीतला माता सफाई से रहने की सीख देती है

 इसी कारण उत्तर भारत में शीतला सप्तमी अष्टमी के इस व्रत को बासोड़ा  भी कहते हैं। इसके पीछे कारण यह भी है कि इस दिन के बाद से ठंडा खाना बंद कर देते हैं। यह मौसम का आखिरी दिन होता है जब बासी खाना खा सकते हैं। इसके बाद गर्मी है शुरू हो जाती है इन दिनों ठंडा खाना खराब हो जाता है इसलिए शीतला देवी की पूजा के साथ ठंडा खाना खाते हैं इस बात से शीतला देवी प्रसन्न होती है और व्रत करने वाले के परिवार में बुखार इन्फेक्शन, चेचक और आंखों की बीमारियां नहीं होती। शीतला माता सफाई से रहने की सीख देती है।