आज अमावस्या पर करे पितरो का धुप -ध्यान ,कुश गृहिणी अमावस्या पर करे ये काम

आज 14 सितंबर को कुशग्रहणी अमावस्या है पंचांग भेद की वजह से कल भी अमावस्या रहेगी। देवी देवताओं के साथ पूजा के साथ ही पितरों के लिए धूप ध्यान करने की खास स्थित है। क्योंकि पितरों को इस तिथि का स्वामी माना जाता है यानी पितृ देवता कौन और किस तरह से इस समय इन्हें धूप ध्यान देना चाहिए।
,घर परिवार और कुटुंब की मृत सदस्यों को पितृ देवता माना जाता है
ज्योतिष के मुताबिक ,घर परिवार और कुटुंब की मृत सदस्यों को पितृ देवता माना जाता है ,पुरानी मान्यता है की अमावस्या और पितृ पक्ष में प्रयोग घर परिवार के पितृ देव अपने वंश के लोगों की यहां भोजन ग्रहण करने आते हैं। पितृ देव धुंए से भोजन ग्रहण करते हैं। इसलिए इन्हें धूप जलाकर भोजन दिया जाता है। धूप देने के बाद हथेली में जल लेकर अंगूठे की ओर से पितरों को जल चढ़ाते हैं।
हथेली में अलग-अलग ग्रहों की पर्वत बताए गए है
हस्तरेखा ज्योतिष के मुताबिक ,हथेली में अलग-अलग ग्रहों की पर्वत बताए गए है इनके साथ ही अंगूठे और तर्जनी के मध्य भाग के कारक पितृ देवता होते हैं इसे पितृ तीर्थ कहते हैं। हथेली में जल लेकर अंगूठे से चढ़ाया गया। जल हमारे हाथ से पितृ तीर्थ से होता हुआ पितरों को अर्पित होता है। इस वजह से पितरों को जल्दी तृप्ति मिलती है । अमावस्या पर पितरों के लिए धूप ध्यान के साथ-साथ पिंडदान और तर्पण आदि शुभ काम जरूर करना चाहिए । अमावस्या की दोपहर में पितरों के लिए धूप ध्यान करें ,क्योंकि दोपहर का समय पितरों के लिए माना गया है। गाय के गोबर से बने कंडे जलाएं और जब से कन्डो धुंआ निकलना बंद हो जाए तब पितरों का ध्यान करते हुए अंगारों पर गुड़ घी डालें। घर परिवार और कुटुंब के मृत सदस्यों को पितृ कहा जाता है। गुड़ - घी अर्पित करने के बाद हथेली में जल ले और अंगूठे की ओर से पितरों का ध्यान करते हुए जमीन पर छोड़ दे। इसके बाद गाय को रोटी या हरी घास खिलाएं। जरूरतमंद लोगों को भोजन करवा इस दिन सुबह देवी देवताओं की पूजा करें। दोपहर में पितरों के लिए धूप ध्यान और शाम को तुलसी के पास दीपक जलाएं कुशग्रहणी अमावस्या पर साल भर के कुश घास इकट्ठा करने की परंपरा है इसी वजह से इसे कुश ग्रहणी अमावस्या कहते हैं।