ऐसा पेड़ जिसकी हिन्दू और मुस्लिम लोग करते है साथ में पूजा ,कोई नहीं जाता खाली हाथ

आमतौर पर जब आप किसी हिंदू धार्मिक स्थान पर जाते हैं तो वह आपको मंदिर के पुजारी मिलेंगे लेकिन बिहार के मधेपुरा जिले के बेलो-चामगढ़ गाँव स्थित लोकेश्वरी देवी वो स्थान है जहाँ ना मंदिर है और ना ही पुजारी। इस स्थान के प्रति आस्था इतनी गहरी है कि हिंदू मुस्लिम जो भी यहां आता है वह खाली हाथ लौट कर नहीं जाता। '
इस स्थान का इतिहास काफी प्राचीन है
बेलो पंचायत के तत्कालीन चंद्रगढ़ वर्तमान में चामगढ़ चौक के समीप बहियार में लोकेश्वरी देवी माई का स्थान है। यहां आस-पास के कई जिलों समेत पड़ोसी देश नेपाल के तराई क्षेत्र से भी लोग मन्नत लेकर पहुंचते हैं। मनोकामना पूर्ण होने के बाद श्रद्धालु यहां चढ़ावा चढ़ाते हैं। स्थानीय लोग बताते हैं कि पीढ़ी दर पीढ़ी है परंपरा चली आ रही है। इस स्थान का इतिहास काफी प्राचीन है लेकिन हम लोगों ने जब होश संभाला है तब से यहां पूजा-पाठ होते हुए देख रहे हैं।
प्रत्येक मंगलवार को श्रद्धालुओं की काफी भीड़ जुटती है
हालांकि धीरे-धीरे इस स्थान का स्वरूप बदल रहा है । प्रत्येक मंगलवार को यहां श्रद्धालुओं की काफी भीड़ जुटती है। पंचायत के कुछ बुजुर्ग और गांव मुखिया दयानंद यादव बताती हैं कि यहां एक विशाल बरगद का पेड़ है इसके नीचे लोग पूजा अर्चना करते हैं। वह कहते हैं कि मंदिर बनवाने के लिए पूर्वजों ने प्रयास किया था लेकिन सफल नहीं हुए।
मान्यता है कि लोकेश्वरी देवी मंदिर की बरगद के पेड़ में विराजमान है इसलिए यहां मंदिर का निर्माण संभव नहीं है। क्योंकि लोकेश्वरी के स्थान पर पूरी होने के बाद चढ़ावा चढ़ाने वालों का ताँता देखने को मिलता है। साथ ही सांप्रदायिक सौहार्द का अनोखा दृश्य भी देखने को मिलता है। आमतौर पर किसी भी हिंदू देवता की स्थान पर मुस्लिमों को नहीं देखा जाता लेकिन यहां मुस्लिम धर्म को मानने वाले लोग भी श्रद्धा पूर्वक आते हैं।