Sheetala Ashtami 2023:यहां जाने क्यों लगाया जाता है शीतला माता को बासी भोजन का भोग ,पौराणिक कथा

शीतला सप्तमी और शीतलाष्टमी पर मान्यता अनुसार माता शीतला की पूजा होती है। माँए इस दिन अपने संतानों की स्वास्थ्य के लिए माता की पूजा करती है और व्रत रखती है। इस साल 15 मार्च के दिन शीतला सप्तमी का व्रत रखा जाएगा। माना जाता है कि माता शीतला चेचक जैसे लोगों से बच्चों की रक्षा करती है। इस दिन को बासोड़ा भी कहते हैं। क्योंकि माता शीतला की पूजा में बासोड़ा यानि की बासी भोजन का भोग लगाया जाता है।
परंतु कम ही लोगों को पता है कि आखिर अन्य देवी-देवताओं की तरह माता शीतला को बासी भोजन का भोग क्यों लगाया जाता और भक्तों भी इस दिन ताजा प्रसाद ग्रहण क्यों नहीं करते। इसके पीछे भी कारण है। शीतला अष्टमी का व्रत रखने वाली महिलाएं एक रात पहले शीतला मैया के लिए तैयार करती है और और अगले इसका भोग लगाती कहते हैं कि नहीं होता ऐसा करने के पीछे भी एक कारन है।
माता शीतला की कथा
एक गांव में शीतला माता की पूजा की पूजा करते समय गांव के लोगों ने गरम गरम शीतला माता का मुँह जल गया और जिससे माता क्रोधित हो गई। इसी रात गांव में आग लग गई और सभी के घरजल गए परंतु एक झोपड़ी ऐसी थी जो टस से मस नहीं हुई सभी को आश्चर्य हुआ कि आखिर बुढ़िया की झोपडी कैसे बच गई जब लोगो ने बुढ़िया से सवाल किया गया तो उसने बताया कि उसने शीतला माता को ताजा नहीं बल्कि बासी भोजन खिलाया था।
बुढ़िया के बासोड़े खिलाने के कारण मां शीतला उस से रुष्ट नहीं हुई। इस दिन माता शीतला को बासी को खिलाने की परंपरा शुरू हुई। मान्यता अनुसार माता शीतला बासोड़ा से प्रसन्न होती है और सभी को स्वस्थ रहने का वरदान देती है।