सावन 2023 :ऐसे कावड़ यात्री जो बिना रुके चढ़ाते है 24 घंटे के देवघर में जल ,यहां जाने क्या होते है 'डाक बम '

भगवान शिव के साथ पावन महीने में सावन में लगातार शिव भक्त शिवालय पहुंच रहे हैं और इसी में लेकर देव भूमि उत्तराखंड तक शिव के भक्त कंधों पर कावड़ लेकर निकलते हैं। कावड़ यात्रा निकालकर सभी जल लेकर अपने भोलेनाथ का जलाभिषेक करने के लिए पहुंच हर साल पहुंच जाते हैं। वैसे तो कावड़ यात्रा और कावड़िया की जब भी बात होती है तो लोग अक्सर भगवा रंग के कपड़े पहने और कावड़ लिए लोगों को ही कावड़िया मानते हैं । लेकिन कावड़िया भी दो तरह के होते हैं।
दरअसल कावड़ यात्रा भी दो तरह की होती है। एक में आप आराम से रुक रुक कर चले जाते हैं फिर वापस आकर भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करते दूसरा काम नहीं करते हैं बल्कि गंगाजल लेकर लगातार लेकर लगातार चलते या दौड़ते हुए 24 घंटे के अंदर जलाभिषेक करते है इसे कहते हैं 'डाक बम '
क्या है डाक बम
डाक बम कावड़ यात्रा के उस रूप को कहते हैं जिसमें श्रद्धालुओं बिना कहीं रुके या विश्राम किए जल लेकर दौड़ते या चलते हुए शिवालय पहुंचता है और जल अभिषेक करता है। दरअसल डाक बम और पूर्वांचल बिहार और झारखंड में ज्यादा देखने को मिलते हैं। नंगे पांव जमीन पर लेटकर और दौड़ते हुए बाबा धाम जाकर रुकते हैं। डाक बम कहीं नहीं रुकते हैं और अगर वह रुक के गए तो उनकी यात्रा खंडित मानी जाती है।
डाकघर देव का खास माना जाता है। देवघर के बाबा बैद्यनाथ धाम मंदिर में सावन के पहले सोमवार पर कांवरियों का हुजूम उमड़ता और सबसे ज्यादा डाक बम। सुल्तानगंज से लेकर 108 किलोमीटर की दूरी तय करके डाक बम में शामिल श्रद्धालु देवघर पहुंचते और जल चढ़ाते हैं। सावन में देवघर में श्रद्धालुओं का ताता लगा रहता है पुलिस की भोलेनाथ की लेकर आते हैं। सावन में देवघर में श्रद्धालुओं का तांता लगता है। पुलिस की भारी सुरक्षा के बीच कठिन तपस्या करके डाक बम में श्रद्धालु अपने भोलेनाथ के लिए जल लेकर आते हैं।