आंवला नवमी के दिन कर ले इस जगह की 3 परिक्रमा मिले जायेगा हर तीर्थ का पुण्य

कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि अक्षय नवमी के नाम से जाना जाता है साथ ही इसे आंवला नवमी भी कहते हैं। मान्यता है कि इस दिन आंवला की पेड़ की पूजा और दान करने पर अक्षय फल की प्राप्ति होती है। मां लक्ष्मी को कृपा से साधक को आर्थिक लाभ मिलता है। इस उत्सव को ब्रज में बड़े उत्साह साथ सभी मंदिरों में मनाया जाता है। इस दिन ब्रज में तीन वन की परिक्रमा भी लगाई जाती है जिसमें मथुरा ,वृंदावन और गरुणगोविंद की 21 कोस की परिक्रमा का अधिक महत्व है।
ब्रज में परिक्रमा लगाने का विशेष महत्व है
ब्रज में परिक्रमा लगाने का विशेष महत्व है। खासकर कुछ विशेष पर्वो पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु परिक्रमा लगाते हैं जिनमें से अक्षय नवमी भी पर्व है। इस दिन ब्रज में मथुरा ,वृंदावन और गरुण गोविंद इन तीन वनों की 21 कोस की परिक्रमा लगाई जाती है वैसे तो परिक्रमा को परिक्रमा की परिधि में कहीं से भी शुरू किया जा सकता है। लेकिन ब्रज की परंपराओं के अनुसार ,अधिकतर लोग इस पर परिक्रमा को यमुना के घाटों से शुरू करते हैं। प्रातः काल जहां सबसे पहले यमुना में स्नान में पूजन करने के बादआंवला की वृक्ष की पूजा कर परिक्रमा शुरू की जाती है।
माना जाता है कि तीन वनो की परिक्रमा से सभी तीर्थो का पुण्य मिलता है। साथ इसी दिन आंवला , सिंघाड़े के फल , खील खिलौने और भोजन -दान का विशेष महत्व माना जाता है। कहते हैं कि जो भी इस दिन चीज दान करता है उसे क्षय से मुक्ति मिलती हैऔर उसके घर में कभी धन की कमी नहीं होती। इसके साथ ही पूरी परिक्रमानंगे पाँव लगाई जाती है और परिक्रमा के दौरान किसी भी वाहन पर बैठकर परिक्रमा नहीं की जाती। यदि कोई परिक्रमा के दौरान वाहन पर थोड़ी दूरी तय करता है तो उसकी परिक्रमा अधूरी मानी जाती है। ज्योतिष के मुताबिक जो व्यक्ति इस दिन व्यक्ति आंवला के पेड़ की पूजन करता है उसकी चाय के नीचे बैठकर भोजन करता है उसे भगवान विष्णु की कृपा होती है। क्योंकि आंवला भगवान विष्णु का प्रिया और उस पर लक्ष्मी निवास माना गया है। इस दिन आंवला के वृक्ष की निचे दीपकजलाकर वृक्ष को रक्षा सूत्र बांधकर परिक्रमा की जाती है साथ ही पूजन शुभ मुहूर्त सुबह 6:48 से शुरू होकर 12:07 तक का है।