महा सप्तमी को करे माँ कालरात्रि को प्र्शन्न और पाए शत्रुओं पर विजय ,यहां जाने पूजा विधि

आज शरदीय नवरात्र का सातवां दिन है जिसे महा सप्तमी के नाम से जाना जाता है। इस साल महा सप्तमी के दिन त्रिपुष्कर योग में है। इस योग में किए गए कार्यों के तीन गुना फल प्राप्त होते है। महा सप्तमी को मां दुर्गा के साथ की पूजा करते हैं। मां काल रात्रि के आशीर्वाद से भक्तों के भय ,रोग और दोष खत्म हो जाते हैं। उनकी पूजा से अकाल मृत्यु का योग भी टाल सकता है। संकटों से दूर करके भक्तों की रक्षा करती है। मां कालरात्रि का रंग काला है और दिखने में भयंकर है उनका स्वरूप देखकर ही डर पैदा होता है।शत्रु उनके सामने टिक नहीं पाते है।
देवी शत्रुओं के लिए साक्षात काल के समान है
देवी शत्रुओं के लिए साक्षात काल के समान है। इस वजह से इनको कालरात्रि कहते हैं । हालांकि अपने भक्तों को shubh फल प्रदान करती इसलिए इन्हें शुभंकरी भी कहते हैं। आज हम आपको इसकी पूजा की विशेष विधि के बारे में बताते हैं।
पंचांग के अनुसार नवरात्रि की सप्तमी तिथि यानी आश्विन शुक्ल सप्तमी की तिथि को प्रारंभ 20 अक्टूबर को रात 11:24 से हुआ है और तिथि आज रात 9:53 तक मान्य ऐसे में शरदीय नवरात्रि की महा सप्तमी आज 21 अक्टूबर को है। महा सप्तमी नवरात्रि के सातवें दिन होती है आज त्रिपुष्कर योग शाम 7:54 से रात 9:53 तक है। आज सुबह से सूर्योदय बाद से मां कालरात्रि की पूजा कर सकते हैं।
मां कालरात्रि की पूजा का मंत्र है
ओम देवी कालरात्र्यै नमः
माँ काली का वहां गर्दभ ही अभी हाथों में कटार और वज्र धारण करती है। उनके कैश खुले होते हैं। महा सप्तमी के दिन मां कालरात्रि को रात रानी का फूल अर्पित करना चाहिए। यदि वह नहीं मिलता है तो लाल रंग का गुड़हल या लाल गुलाब चढ़ाये। माँ काल रात्रि को गुड़ का भोग प्रिय है। सुबह में स्नान और सूर्य को अध्र्य देने के बाद मां कालरात्रि की पूजा करें। उनको लाल फूल ,रात रानी का फूल ,अक्षत ,सिंदूर , नैवेध , धूप ,दीप ,गंध आदि chdhaaye माँ कालरात्रि का मंत्रोच्चार करें। उनको खुश करने के लिए गुड़ का नैवेध दे। पूजा के आखिर में कालरात्रि की आरती करें। फिर अपनी मनोकामना माता के सामने व्यक्त कर दें। माँ सप्तमी को महाकाल रात्रि की पूजा करने से व्यक्ति के अंदर साहस निर्भर और पराक्रम में वृद्धि होती है। देवी कालरात्रि सभी प्रकार के भय और संकटों से दूर करती अपने दुश्मनों पर विजय हासिल करने के लिए कालरात्रि की पूजा करनी चाहिए।