सावन की कामिका एकादशी करने पर मिलता है अपार पुण्य ,दीपदान करने से स्वर्ग में बैठे पित्तर भी देंगे आशीर्वाद

कामिका एकादशी 13 जुलाई गुरुवार को है। यह वार और तिथि दोनों ही भगवान विष्णु को समर्पित है। इसलिए इस दिन की गई भगवान विष्णु की पूजा औरव्रत-उपवास का शुभ फल और बढ़ जाएगा। सावन महीने के दौरान आने वाली कामिका एकादशीपर शंख ,चक्र और गदाधारी भगवान विष्णु की पूजा होती है। भीष्म पिता ने नारदजी को इस एकादशी का महत्व बताया उन्होंने कहा कि जो मनुष्य इस एकादशी को धूप ,दीप ,नैवेद्य आदि से भगवान विष्णु की पूजा करते हैं उन्हें गंगा स्नान से फल से भी उत्तम फल की प्राप्ति होती है।
एकादशी कथा सुनने से ही वाजपेय यज्ञ का फल मिल जाता है
इस एकादशी कथा सुनने से ही वाजपेय यज्ञ का फल मिल जाता है। इसमें कहते हैं कि सूर्य और चंद्र ग्रहण के वक्त स्नान करने से जितना फल मिलता है उतना ही पुण्य सावन महीने में आने वाली कामिका एकादशी पर व्रत और भगवान विष्णु की पूजा करने से मिल जाता है। इस दिन तुलसी पत्र से भगवान विष्णु की पूजा करने का भी विधान बताया गया है। पितामह कहा है कि ,पूरे साल भगवान विष्णु जी के पूजा ना कर सके तो कामिका एकादशी का उपवास करना चाहिए इससे बछड़े सहित गोदान करने से इतना पुण्य मिल जाता है।
सावन महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा और उपवास करने से सभी देवता ,नाग ,किन्नर और पितरों की भी पूजा हो जाती है जिससे हर तरह के रोग ,शोक और दोष आप खत्म हो जाते हैं। कामिका एकादशी के व्रत के बारे में खुद भगवान ने कहा है कि मनुष्य को आध्यात्मिक विद्या से जो फायदा मिलता है उससे ज्यादा फल कामिका एकादशी के व्रत करने से मिल जाता है । इस दिन व्रत करने से मनुष्य को यमराज के दर्शन नहीं होते बल्कि स्वर्ग मिलता है जिससे नरक के कष्ट भोगने नहीं पड़ते हैं। इसमें ने नारदजी को यह बताया कि कामिका एकादशी की रात में जागरण और दीप दान करने से जो पुण्य मिलता है उसको लिखने में चित्रगुप्त भी असमर्थ है। एकादशी भगवान विष्णु के सामने घी का दीपक या तिल के तेल का दीपक जलाना चाहिए जो ऐसे दीपक लगाते हैं उसे सूर्य लोक में भी हजारों दीपों का प्रकाश मिलता है ऐसे लोगों की पितरों को स्वर्ग से अमृत मिलता है।