इस दिन मनाई जा रही है नारद जयंती ,यहां जाने नारद से जुड़े कुछ रहस्य

सभी देवताओं प्रिय नारद जी कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है ऐसे में जयंती 6 मई 2023 को मनाई जाएगी। नारद मुनि पृथ्वी आकाश और पाताल लोक में देवी देवता और असुरों तक संदेश पहुंचाया करते थे।नारद जी को लेकर मान्यता है कि भगवान विष्णु के अवतार थे । ऐसी ही कुछ और रोचक बातों के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं, तो चलिए जानते हैं बिना देर किए।
ऐसी ही कुछ और रोचक बातों के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं, तो चलिए जानते हैं बिना देर किए
सबसे पहले बता दें की उनका नाम नारद क्यों पड़ा। शास्त्र के अनुसार नार का अर्थ 'जल ' नारद जी ज्ञान ,जल और तर्पण का काम करते थे इसलिए नारद जी के नाम से जानें गए।
ऐसी मान्यता है कि नाराज जी ब्रह्मा जी के कंठ से उत्पन्न हुए थे उन्हें संगीत, व्याकरण ,भूगोल , इतिहास ,पुराण ज्योतिष योग आदि शास्त्र में पारंगत माना जाता था। आपको बता दें की नारद को ब्रह्मा जी ने अविवाहित रहने श्राप दिया था। असल में एक बार नारद जी ने ब्रह्माजी द्वारा सृष्टि के कामकाज में शामिल होने की आज्ञा का पालन करने से मना कर दिया था। जिससे क्रोधित होकर ब्रह्मा जी ने उन्हें अविवाहित होने का श्राप दिया था।
शास्त्रों के अनुसार नारद जी ने कठोर तपस्या के बाद देवता में ब्रह्म ऋषि के पद प्राप्त किया था । देव ऋषि को भगवान विष्णु का प्रिय माना जाता था तीनो लोक में कोई भी दुख पीड़ा होती थी नारद जी भगवान के पास पहुंचाने का काम करते थे नारद जी को विष्णु भगवान का मन कहा जाता है। ऐसी मान्यता में देव ऋषि से पिछले जन्म में एक दासी के पुत्र थे।
एक और मान्यता है कि नारद जी ने वन में कठोर तपस्या करने के बाद साक्षातनारायण जी के दर्शन पाए थे। उनके रूप को देखकर नारद जी आत्मविभोर हो उठे थे। श्री कृष्ण ने उन्हें दर्शन देने के बाद कहा था नारद तुम निष्पाप और पवित्र हो इसलिए मेरे दर्शन तुम्हें मिला है.