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शीतला सप्तमी और अष्टमी को होगी माता शीतला की पूजा लगेगा बासी खाने का भोग ,यहां जाने क्या है इसका ताज

 

14-15 मार्च को चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी अष्टमी तिथि है। इन तिथियों पर शीतला माता को ठंडे या बासी  का खाने का भोग लगाया जाता है।  ठंडा खाना खाया जाता है । कुछ लोग सप्तमी और कुछ लोग अष्टमी  पर ये व्रत  करते हैं। 

शीतला माता के हाथों में कलश ,झाड़ू ,सूप यानी सूपड़ा  रहता है

ज्योतिष के अनुसार शीतला माता शब्द अर्थ है जो माता शीतलता देती है शीतलता यानी ठंडक ,इस व्रत में देवी को शीतल यानी ठंडा खाने का भोग लगाने की परंपरा है। भक्त भी  ठंडा खाना ही खाते हैं। शीतला माता का स्वरूप अन्य देवियोसे अलग होता है देवी मां का गधे की सवारी करती है। शीतला माता के हाथों में कलश ,झाड़ू ,सूप यानी सूपड़ा  रहता है। 

मां शीतला नीम के पत्तों से बनी  माला धारण करती है

मां शीतला नीम के पत्तों से बनी  माला धारण करती है। कलश, झाड़ू, सूप और नीम ये सभी चीजें साफ-सफाई से संबंधित हैं। देवी शीतला का स्वरूप संदेश होता है हमेशा साफ सफाई का ध्यान रखें जो लोग साफ-सफाई नहीं रखते  गंदगी में रहते हैं उन्हें जल्दी बीमार होने की संभावना रहती है। 

त्वचा संबंधी बीमारियां होने की संभावना कम रहती है

इन 2 दिनों में शीतला माता का भक्त वासियों ने ठंडा  खाने का भोग लगाते हैं और को ठंडा खाना ही खाते हैं।  मान्यता है कि समय में ठंडा खाना खाने से भक्तों को ऋतु परिवर्तन से होने वाली मौसमी बीमारियों जैसे सर्दी -खांसी ,फोड़े फुंसी आंखों से संबंधित और त्वचा संबंधी बीमारियां होने की संभावना कम रहती है।