30 को गंगा दशहरा और 31 को निर्जला एकादशी ,यहां जाने इन दो पर्वो बड़ा महत्व और दान पूजा के बारे में

अगले सप्ताह दो बड़े व्रत रहेंगे। मंगलवार को 30 मई को गंगा दशहरा और बुधवार को 31 मई को निर्जला एकादशी।इन दोनों व्रत पर्वों का महत्व काफी अधिक है। गंगा दशहरा यानी जेष्ठ शुक्ल दशमी तिथि पर देवी गंगा स्वर्ग लोक से धरती पर आई थी । इस तिथि पर गंगा नदी में स्नान करने की और गंगा नदी का पूजन करने की परंपरा है। इसके बाद अगले दिन निर्जला एकादशी का व्रत किया जाएगा। ज्योतिष के अनुसार साल भर की सभी एकादशी में निर्जला एकादशी का महत्व सबसे अधिक है ।
इस व्रत में पूरे दिन और पानी दोनों को ही तैयार किया जाता है। भक्त दिनभर भगवान विष्णु का ध्यान करता है। ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष के गर्मी में प्रभाव में होती है। ऐसे में पूरे दिन भूखे प्यासे रहना आसान नहीं है । निर्जला एकादशी का व्रत करने की तरह जो भक्ति व्रत करते हैं उन्हें साल भर की सभी एकादशी के व्रत के बराबर पुण्य मिलता है।
द्वापर युग में भीम ने भी किया था निर्जला एकादशी व्रत
महाभारत के समय यानी द्वापर युग में भीम ने भी निर्जला एकादशी का व्रत किया था। इस वजह से इसे भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं। इस संबंध में एक कथा प्रचलित है। कथा के मुताबिक, युधिष्ठिर, अर्जुन और नकुल-सहदेव सालभर की सभी एकादशियों पर व्रत करते थे, लेकिन भीम व्रत नहीं कर पाते थे। एक दिन भीम ने इस बारे में वेद व्यास जी से बात की। उन्होंने व्यास जी से कहा कि मैं तो थोड़ी देर भी भूखे नहीं रह पाता हूं, ऐसे में एकादशी व्रत करना मेरे लिए संभव नहीं है। क्या कोई ऐसा उपाय नहीं है, जिससे मुझे भी एकादशी व्रत का पुण्य मिल सके।ये बात सुनकर व्यास जी ने भीम को ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी यानी निर्जला एकादशी के बारे में बताया। व्यास जी ने कहा कि सालभर में सिर्फ एक एकादशी का व्रत कर लिया जाए तो सालभर की सभी एकादशियों का पुण्य मिल सकता है। इसके बाद भीम ये व्रत किया था।
गंगा दशहरा और निर्जला एकादशी पर कौन-कौन से काम करे
गंगा दशहरा पर गंगा नदी में स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो अपने शहर के आसपास किसी ने नदी में स्नान कर सकते हैं।
नदी में स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो घर पर ही पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं।
स्नान के बाद जरूरतमंद लोगों को दान पुण्य जरूर करें।
किसी गौशाला में गायों की देखभाल के लिए दान पुण्य करें।
निर्जला एकादशी पर भगवान विष्णु के साथ ही शिवजी का अभिषेक भी जरूर करें। शिवलिंग पर ठंडा जल चढ़ाएं। बिल्वपत्र और हर सिंगार करे।
ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें। इस दिन विष्णु जी और महालक्ष्मी जी का अभिषेक करना चाहिए। किसी मंदिर में पूजन सामग्री का दान करें जैसे कुमकुम , चंदन हार, फूल ,घी, तेल ,सिंदूर ,अभीर ,गुलाल आदि।