एकादशी से लेकर पूर्णिमा तक :बैशाख माह की इन तिथियों को मिला हुआ देवताओ का वरदान ,विष्णु की पूजा से मिलेगा पुरे महीने का धर्म

वैशाख महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी से पूर्णिमा तक हर तिथि महा पुण्य देने वाली मानी जाती है। लेकिन इनमें से आखिरी 3 दिन बहुत ही पवित्र और शुभकारी होते है। स्कंद पुराण में त्रयोदशी , चतुर्दशी और पूर्णिमा तिथि को पुष्कारिणी कहा गया है यही नहीं 3 दिन सभी पापों को खत्म करने वाले हैं। पंडितों का कहना है कि इन 3 दिनों में भगवान विष्णु की आराधना करने से पूरे वैशाख महीने ब्रह्म मुहूर्त में तीर्थ स्थान व्रत और भगवान विष्णु की पूजा करने का अक्षय पुण्य फल मिल जाता है। वैशाख महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी को अमृतपकरत हुआ था।
वैशाख महीने की पूर्णिमा पर भगवान ने बुद्ध अवतार लिया था
द्वादशी तिथि को भगवान विष्णु ने उसकी रक्षा की। त्रयोदशी को भगवान ने देवताओं को अमृतपान करवाया। चतुर्दशी को देव विरोधी दैत्यों को मारा और पूर्णिमा पर सभी देवताओं को उनका साम्राज्य मिल गया था।। वैशाख मास के आखिरी 3 दिनों में भगवान विष्णु के 3 अवतार इन तिथियों में लिए। इनमें सतयुग में त्रयोदशी तिथि पर भगवान विष्णु नृसिंह रूप में प्रकट हुए। जल प्रलय काल में इस चतुर्दशी पर भगवान विष्णु कछुए के रूप में प्रकट हुए थे। जिसे कूर्म अवतार कहते हैं। वहीं, वैशाख महीने की पूर्णिमा पर भगवान ने बुद्ध अवतार लिया था। जिसे बुद्ध पूर्णिमा के तौर पर मनाते हैं।
3 दिनों में भागवत कथा सुनने से हर तरह के पास खत्म हो जाते हैं
देवताओं ने वैशाख महीने की तीन तिथियों त्रयोदशी से लेकर पूर्णिमा तक हर तिथि को वरदान दिया। कहा कि बैशाख की यह तीन शुभ तिथियां मनुष्य के पापों का नाश करने वाली होगी। इन दिनों में पुण्य कर्म करने और से और सुख समृद्धि मिलेगी जो इंसान वैशाख पूरे महीने सुबह जल्दी उठकर पुण्य स्नान ना कर सके वहीं तीन तीन तीन तिथियों पर कर ले और उसे पूरे वैशाख महीने का पुण्य फल मिल जाएगा। स्कंद पुराण का कहना है कि वैशाख महीने के आखिरी 3 दिनों में गीता पाठ करने से अश्वमेघ यज्ञ करने जितना फल मिलता है। इन 3 दिनों में भागवत कथा सुनने से हर तरह के पास खत्म हो जाते हैं और इन 3 दिनों में विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से कभी न खत्म होने वाला महा पुण्य मिलता है ।