Chhath Mahaparv :यहां जाने कौन है छठी मैय्या और कैसे हुयी उनकी उतप्ति ,यहां जाने छठी मैय्या की सारी बाते

हर साल कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ का पर्व मनाया जाता है। चार दिनों तक मनाया जाने वाला यह पर वह हिंदू लोग आस्था से जुड़ा एक बड़ा पर्व है। इस महापर्व का दर्जा दिया गया है। छठ का व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक है। इस दौरान व्रती 31 घंटे से भी ज्यादा समय के लिए निर्जला व्रत करके छठी मैया और भगवान सूर्य की उपासना करते हैं। अंतिम दिन सुबह उदयमान सूर्य को अध्र्य देने के बाद व्रती अपना व्रत खोलते हैं। इस साल 17 नवंबर 2023 से छठ महापर्व की शुरुआत हुई है जो 22 नवंबर 2023 को सुबह के अध्र्य के साथ खत्म होगी।
मान्यता है कि जो भी इस व्रत को पूरी शुद्धता ,पवित्रता और साफ और सच्चे मन से करता है उसकी सभी मनोकामना छठी मैया पूरी करती है। कई लोगों को छठी मैया की उत्पत्ति और उनसे जुड़ी कहानी के बारे में नहीं पता है। यह हम आपको बताते हैं कि कौन है छठी मैया और क्या है इसे जोड़ी मान्यता।
छठ पूजा व्रत की महिमा
छठ पूजा व्रत की महिमा का बखान पुरानी कथाओं के साथ -साथ वैदिक पंचांग भी देखने को मिलता है। इसे हिंदू धर्म का सबसे कठिन व्रत माना गया है। क्योंकि इस व्रत में लगातार 36 घंटे तक निर्जला रहते हैं। भले ही छठी मैया के उपवास कठिन है लेकिन साथ यह उतना ही फलदाई माना जाता है। इस व्रत को संतान की लंबी उम्र के लिए अच्छी सेहत के लिए ,घर और पूरे परिवार की रक्षा के लिए ,सुख - समृद्धि और धन -धान्य करने के लिए सबसे अधिक फलदाई माना गया है । ग्रंथो की माने तो महाभारत काल में जब अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे बच्चे का वध कर दिया था। तब भगवान श्री कृष्ण ने उत्तरा को छठी माता का व्रत करने की सलाह दी थी। इस व्रत की महिमा उस काल से पहले से चलती आ रही है।
छठ पूजा व्रत की महिमा छठी मैय्या से जुड़ी कहानी
हिंदू पुराणों की कथाओं के अनुसार , छठी मैया भगवान सूर्य की बहन और ब्रह्मदेव की मानस पुत्री है। श्रीमद् भागवत पुराण में भी छठी मैया के बारे में बताया गया है। इसके अनुसार ,प्रकृति के छठे अंश से छठी मैया प्रकट हुई। पुराणों में माता के पति कार्तिकेय भगवान को बताया गया है। मतलब छठी मैया महादेव की बहू है। पौराणिक कथाओं में बताया गया की ,छठी मैया संतान की प्राप्ति और प्रकृति की देवी है। मान्यता है कि जब ब्रह्मा जी से सृष्टि की रचना कर रहे थे तब उन्होंने स्वयं को दो भागों में बांटा था। एक भाग पुरुष और दूसरा भाग प्रकृति के रूप में बांटा। इसके बाद प्रकृति ने खुद को छह भागों में बांटा जिसमें से एक मातृ देवी है। छठी मैया को मातृ देवी का भी छठा रूप माना जाता है।