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होलिका दहन पर 700 साल बाद बन रहे है ये पांच बड़े योग ,यहां जाने भद्रा की वजह से कब जलेगी होली

 

आज रात में होलिका दहन होगा इसके लिए साढ़े पांच  घंटे का सिर्फ एक ही मुहूर्त है। दरअसल इस साल पूर्णिमा 2 दिन तक रहेंगी  जो कि आज शाम को 4:18 पर शुरू होगी और इसके बाद भद्रा शुरू होगा।  लेकिन रात में 12:40 से होली जलाने का मुहूर्त रहेगा।  इससे पहले 1994 में ऐसा हुआ था। वही धुलंडी यानी  वाली रंग वाली होली पूरे देश में 8 तारीख को मनेगी। 

आज गुरु और शनि की खुद की राशि में और  उच्च स्थिति में है

मतलब देश की ज्यादातर राज्यों में होली जलने  के 24 घंटे बाद ही रंग खेला जाएगा। आज गुरु और शनि की खुद की राशि में और  उच्च स्थिति में है  साथ ही केदार, हंस, मालव्य, चतुष्चक्र और महाभाग्य नाम के पांच बड़े योग बन रहे हैं।  सितारों का ऐसा दुर्लभ योग पिछले 700 सालों में नहीं बना है इस संयोग में होने वाला होलिका दहन शुभ रहेगा। ज्योतिष के अनुसार इस योग में होलिका दहन होना  देश के लिए शुभ रहेगा जिससे देश की अर्थव्यवस्था सुधरेगी ,अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश मजबूत होगा और बीमारियां भी कम होगी। 

होलिका दहन भद्रा खत्म होने के बाद करना चाहिए

 होली पूजन और दहन मुहूर्त के बारे में कहते हैं कि कि प्रदोष काल यानी सूर्यास्त के बाद अगले ढाई घंटे में भद्रा के  रहते तो पूजा कर सकते हैं।  लेकिन होलिका दहन भद्रा खत्म होने के बाद करना चाहिए। इसलिए 6.24 से 6.48 तक होली पूजा का मुहूर्त है।यह गोधूलि बेला का समय रहेगा।  वही होलिका दहन का मुहूर्त रात 12:40 से 5:00 के बीच रहेगा। 


क्यों होली की राख माथे पर लगाई जाती है

त्रेतायुग की शुरुआत में लोगों की रक्षा के लिए धरती पर पहला यज्ञ हुआ तो भगवान विष्णु ने उसमें से थोड़ी सी राख अपने सिर पर लगाई और थोड़ी हवा में उड़ा दी। इसके बाद ऋषियों ने भी ऐसा ही किया और जाना की हवन की राख को शरीर पर लगाने से सेहत से जुड़ी परेशानियां दूर होती है। तब से ये परंपरा चली आ रही है। सिर पर राख लगाने को धुलि वंदन कहते हैं। इसी से धुरेंडी पर्व बना, जिस दिन हम रंग गुलाल से खेलते हैं।