
सावन की दूसरी एकादशी का पुत्रदा एकादशी कहते हैं क्योंकि पुराणों के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु की पूजा के साथ व्रत रखने से संतान सुख मिलता है ये व्रत साल में दो बार रखा जाता है हिंदू कैलेंडर के अनुसार पहले पुत्रदा एकादशी सावन मास के शुक्ल पक्ष में आती है जो 8 अगस्त सोमवार को है वह दूसरी पौष माह के शुक्ल पक्ष में आती है।
सावन मास में भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है इसलिए व्रत और भी खास हो गया है ऐसे लोग जो संतान सुख की कामना रखते हैं उन्हें ये व्रत जरूर करना चाहिए इस व्रत को करने से भगवान विष्णु के विशेष कृपा से उत्तम संतान की प्राप्ति होती है साथ ही भगवान विष्णु का आशीर्वाद भी बना रहता है।
दशमी तिथि से एकादशी व्रत के नियम पर चलने की मान्यता है व्रत से एक दिन पहले ही सात्विक भोजन करें एकादशी पर सुबह जल्दी उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनकर घर के मंदिर में दीपक जलाए व्रत का संकल्प लें पूजा में धूप दीप फुल फूल-माला, अक्षत, रोली और नैवेद्य समेत 16 सामग्रियां भगवान को अर्पित करें भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी दल जरूर अर्पित करें इसके बिना उनकी हर पूजा अधूरी मानी जाती है।
इसके बाद पुत्रदा एकादशी की व्रत कथा पढ़ें और आरती करें एकादशी पर भगवान विष्णु का स्मरण करते हुए किसी पवित्र नदी सरोवर में में अन्यथा तुलसी या पीपल के वृक्ष के नीचे दीपदान का भी महत्व है दीपदान में दान करने के लिए आटे की छोटे -छोटे पतली सी रुई की बत्ती जलाकर उसे पीपल या बढ़ के पत्ते पर रखकर नदी में प्रवाहित किया जाता है साथ ही जरूरतमंदों को सामर्थ्य के अनुसार दान करना चाहिए।