बाथरूम में गिरकर आखिर क्यों होती है मौत ,4 हजार ज्यादा लोग गंवाते जान ,यहां जाने इसका कारण

हाल ही में बाथरूम में गिरने से एक्टर आदित्य सिंह राजपूत की मौत हो गईउन्हें कान के पास और सिर में गहरी चोट लगी। अस्पताल ले जाने वाले डॉक्टरों ने उन्हें मृत बताया बाथरूम में फिसलने और चोट लगने की खबरें अक्सर सुनी जाती है। कई लोगों को हड्डियां टूट जाती है कूल्हे उतर जाते हैं। सिर में चोट लगने से मृत्यु तक हो जाती है जैसा की आदित्य सिंह राजपूत की हुई साथ हुआ। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार 2021 में देश के बाथरूम में गिरने की वजह से 20,000 से अधिक घटनाएं हुईं जिसमें 4106 लोगों की मौत हो गई। इसमें 3339 पुरुष और 795 महिलाएं रही है। लगातार पानी गिरने से बाथरूम में फिसलन अधिक होती है।
बाथरूम में रखी किसी चीज को टकराने का फर्श पर गिरने से सिर में चोट लग सकती है। कई बार नल या साबुन रखने की जगह से भी सिर पर चोट लगने का खतरा रहता है। यहचोट गंभीर भी हो सकती और हेड इंजरी का खतरा रहता है। यू ए सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन के अनुसार अमेरिका में हर साल ढाई लाख लोग बाथरूम में गिरकर घायल होते हैं इनमें से 80% अधिक लोग सिर की चोट लगने से होते हैं।
ज्यादा उम्र के लोगों की नजरें कमजोर ,चलने फिरने में दिक्कत की वजह।
पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के न्यूरोलॉजी का डॉक्टर संजय कुमार बताते हैं कि 60 से अधिक उम्र के लोगों की नजर कमजोर होती है। चलने फिरने और बैलेंस बनाने में परेशानी होती है। इसे बाथरूम में गिरने पर हेड इंजरी जानलेवा होती है ।
स्पाइनल कॉर्ड में लग सकती है चोट
बाथरूम में गिरने से स्पाइनल कार्ड भी डैमेज हो जाता है। चोट अधिक लगने पर लकवा तक हो सकता है। स्पाइनल कार्ड के ऊपरी हिस्से में चोट लग सकती है वहीं वह पूरी तरह से सुन्न पड़ जाता है अचानक से शरीर में ताकत कम हो जाती है। पैर हाथ या शरीर का कोई भी असर ठीक से काम नहीं करता है। शरीर में किसी भी चीज पर टच करने या सुई चुभने का असर नहीं होता है। ठंडी या गर्म चीजों को भी महसूस करने की क्षमता खत्म हो जाती है। यहां तक कि शौच जाने के लिए भी प्रेशर नहीं बनता।
अंदरूनी चोटें ले सकती हैं जान
‘फॉल्स इन द बाथरूम’ रिपोर्ट के अनुसार, बाथरूम में गिरने वालों में 79% लोगों में अंदरूनी चोटें लगती हैं। मांसपेशियां डैमेज हो जाती हैं। मरीजों में ब्लड क्लॉटिंग और इंटरनल ब्लीडिंग का पता भी नहीं चलता। इलाज में देरी हुई तो जान तक चली जाती है।
डॉ. संजय कुमार बताते हैं कि सीनियर सिटिजन इंजरी और फ्रैक्चर से जल्दी नहीं उबर पाते। महीनों तक उन्हें बेड रेस्ट लेना पड़ता है। कई मरीज तो डिप्रेशन में चले जाते हैं। अगर उन्हें डायबिटीज और दूसरे इन्फेक्शन हों तो स्थिति काफी बिगड़ जाती है।