बच्चों में बारिश में क्यों बढ़ता अस्थमा ,यहां जाने आखिर स्कुल की उम्र से क्या लेना देना है अस्थमा का

बारिश का मौसम चल रहा है इन दिनों अस्थमा के मरीजों की परेशानी आम दिनों की अपेक्षा बढ़ जाती है। अस्थमा साँस से रिलेटेड बीमारी है जो बड़ों को ही नहीं बल्कि बच्चों में भी तेजी से फैल रही है। आज हम आपके बताएंगे की बच्चों में अस्थमा कैसे होता है और किस तरह से रोका जा सकता है।
बारिश में अस्थमा की परेशानी क्यों बढ़ती है?
लगातार बारिश और सूरज की किरणों की कमी से वातावरण में नमी बढ़ जाती है। धूप की कमी से शरीर में विटामिन डी की कमी होती है। दूसरी तरफ नमी फंगस और एल्गी को बढ़ावा देता है। इसेअस्थमा और सांस रिलेटेड कई बीमारियां बढ़ती है।
अस्थमा होने पर शरीर में क्या होता है ?
अस्थमा ऐसी सिचुएशन है जिसमें मरीज को सांस लेने में परेशानी होती है। अस्थमा के दौरे या सांस फूलने के दौरान , सांस नली के आसपास की मसल्स यानी मांसपेशियां कड़ी हो जाती हैं। जिससे सांस नली के परत में सूजन आ जाती है और फिर बलगम बनता है। यह परेशानी धीरे-धीरे बढ़ती जाती बढ़ती जाती है।
बच्चों में अस्थमा के क्या सिंप्टम्स यानी लक्षण दिखाई देते हैं?
अस्थमा के लक्षण तभी दिखाई देते हैं जब परेशानी बढ़ जाती है बच्चों में अस्थमा के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। शुरुआत सर्दी लगने से होती और नाक से पानी निकलने लगता है।
बच्चों में दिखे अस्थमा के लक्षण पर तुरंत हो जाये सांस लेने में तकलीफ दिनभर की अपेक्षा रात में खांसी ज्यादा आती है, खेलने में सांस फूलने लगती है। थकान और कमजोरी लगना ,छाती में जकड़न सा लगना।
बच्चे के स्कूल जाने से अस्थमा का क्या रिलेशन है?
जवाब: पहले बच्चों के स्कूल जाने की उम्र 5 साल हुआ करती थी। इनदिनों जल्दबाजी में बहुत से पेरेंट्स बच्चों का 2 से 3 साल की उम्र में ही स्कूल में एडमिशन करा देते हैं। बच्चों में रोग-प्रतिरोधक शक्ति का विकास 3 साल की उम्र के बाद होता है। स्कूल जाने की वजह से धूप, धूल, मिट्टी आदि से एक्सपोजर बढ़ जाता है, और कमजोर बच्चों की परेशानियां भी इस वजह से बढ़ती है।