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स्प्राउट्स से भी ज्यादा ताकतवर होते माइक्रोग्रिन्स ,यहां जाने कैसे करते है इन्हे तैयार

 

हम सभी स्प्राउट्स खाते हैं स्प्राउट्स यानी अंकुरित अनाज ऐसे मुंग ,बींस ,चना दाल के स्प्राउट्स हेल्दी डाइट के लिए इन्हें ब्रेकफास्ट में जरूर लिया जाता है लेकिन क्या आप माइक्रोग्रीन्स खाते हैं। हो सकता है कई लोगों ने इसके बारे में ना सुना हो पर यह माइक्रोग्रीन्स स्प्राउट से कहीं अधिक न्यूट्रिशंस से भरपूर होते हैं। जैसे स्प्राउट अंकुरित अनाज होते हैं वैसे ही माइक्रोग्रिन्स  सब्जियों और अनाज को छोटा वर्जन होता है यानी अंकुरित कुछ दिनों बाद जब भी से तना  और छोटी पत्तियां निकल जाए तो यह माइक्रोग्रीन्स है इसे सुपरफूड माना जाता है। इसलिए सलाद हो या सूप हो या पिज़्ज़ा बर्गर इन सब में माइक्रोग्रीन्स का इस्तेमाल किया जाता है। जरा सोचें कि सलाद में आप मूली खा रहे हों और उसके साथ उसके माइक्रोग्रींस यानी दुधमुंही पत्तियां खाने को मिल जाए तो स्वाद कैसा होगा। 

इंटरनेशनल जर्नल ऑफ फूड एंड बायोसाइंस की एक रिपोर्ट के अनुसार, माइक्रोग्रींस में कई मिनरल्स, फाइटो न्यूट्रिएंट्स, विटामिंस, एंटी ऑक्सीडेंट्स और कारटेनोयड्स होते हैं। इनमें प्रोटीन और फाइबर के साथ कई मिनरल्स जैसे-पोटैशियम, कैल्शियम, फॉस्फोरस, जिंक, आयरन और कॉपर की अधिक मात्रा होती है जबकि फैट और कार्बोहाइड्रेट्स की मात्रा कम होती है। पॉलिफेनॉल्स और एंजाइम्स की मात्रा अधिक होती है इसलिए स्प्राउट्स के मुकाबले पचाने में आसानी होती है।

कौन से माइक्रोग्रीन्स खाए 

हम कई सब्जियों के माइक्रोग्रीन्स खा सकते हैं जैसे बिट्स  ,ब्रोकली  ,कैबेज ,रेड कैबेज  ,मूली, सरसो ,फूल गोभी ,मेथी धनिया कुट्टू ,चना , सूर्यमुखी आदि के माइक्रोग्रीन्स को  घर में उगा कर  खा सकते हैं। यहां तक कि कलौंजी और सौंफ के माइक्रोग्रीन्स दिखाए जा सकते हैं। इन माइक्रोग्रीन्स में काफी न्यूनट्रिंट्स होते हैं जैसे चोलाई की साग हम सभी खाते हैं इसे फल का रामदाना कहते हैं। चौलाई की माइक्रोग्रीन्स में प्रोटीन ,फाइबर और पोटेशियम, फॉस्फोरस और आयरन जैसे मिनरल्स से भरपूर होते हैं ,इसका टेस्ट मीठा होता है 8 से 12 दिनों में ही से उगा सकते हैं। 

कीन्हे  माइक्रोग्रिन्स को नहीं खाना चाहिए 

जिन लोगो  को  किडनी की बीमारी है उन्हें माइक्रोग्रिन्स  भी नहीं खाने चाहिए  इसी तरह जिन्हे ब्लड क्लोटिंग है या ब्लड से थिनिंग की दवाई ले रहे हैं उन्हें माइक्रोग्रिन्स से लेने से परहेज लेना चाहिए। आप इन्हे अपने घर पर भी उगा सकते हैं किसी भी प्लास्टिक ट्रे, एग ट्रे या बर्तन में उगा सकते हैं। आम तौर पर कंपोस्ट वाली मिट्‌टी का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि कोकोपिट का चलन अब अधिक है। जिस भी माइक्रोग्रींस को उगाना चाहते हैं उसके बीज को कुछ देर में पानी में डुबोकर रखें। फिर इसे मिट्टी में लगा दें। इस पर हल्के पानी का छिड़काव करें। ध्यान रहे इसे सूर्य की रोशनी में रखें।