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अगर पसंद है स्मोकी फूड्स तो दे रहे है इन खतरनाक बीमारियों को बुलावा ,धुआँर लगाने से शरीर हो जायेगा खराब

 

खाने में स्मोकी फ्लेवर लाने के लिए तड़का लगाने  या बघारने  से लेकर तंदूर ,गिर्लिंग  और  बार्बिक्यू  जैसे रीके इस्तेमाल किए जाते हैं। बैंगन भर्ता , लिट्टी चोखा और धुंआर दाल  से लेकर रायता  समेत तमाम सब्जियों में मीट तक का स्वाद और फ्लेवर बिना  धुएं के नहीं आता। । अब तो तंदूरी चाय भी पॉपुलर है और गैस के जरिए कॉकटेल को भी स्मोकी फ्लेवर दिया जा रहा है। 


न्यूट्रिशनिस्ट  निधि अग्रवाल बताती है कि देश के हर हिस्से कई खास व्यंजन बनाए जाते हैं जिन्हें धुएं का स्वाद आता है। अवध की बिरयानी, कोरमा, कबाब, दम पुख्त जैसे व्यंजन तैयार करते वक्त उन्हें खासतौर पर धुआंरा जाता है।  कई आदिवासी समुदायों में मीट को चिमनी में लटकाकर छोड़ दिया जाता है, ताकि धुआं लगने के बाद वह लंबे समय तक सुरक्षित रह सके। इसी तरह, जम्मू में कद्दू से बनने वाले अम्बल से लेकर खट्टा मटन बनाते वक्त भी 'स्मोकिंग टेक्निक' यूज की जाती है। बंगाल में रोहू मछली का स्वाद बढ़ाने के लिए उसमें धुआं लगाया जाता है। गोवा से लेकर मिजोरम तक स्मोक्ड नॉनवेज डिशेज बनती हैं। पुणे में तो अब आप बारबेक्यू जाकर ‘स्मोक्ड मिसल पाव’ भी खा सकते हैं।लेकिन, धुएं से बढ़ता यह स्वाद सेहत को बिगाड़ रहा है हम बताते हैं कि इसके खाने से क्या खतरा है। 

खाने पर चढ़ जाती है कार्बन और जहरीले केमिकल्स की परत  

धुंए में खाना पकाने में ज्यादा वक्त लेता है। एसोसिएशन ऑफ रेडिएशन ऑंकोलॉजिस्ट ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के , मुताबिक इस वजह से उस में कार्बन और दूसरे कई केमिकल्स की परीक्षण जाती है।  यह कार्बन खाने की नली में पहुंचकर जम जाता है और कैंसर की वजह बनता है।  एक रिसर्च में चिमनी साफ करने वाले मजदूरों की जांच की गई तो प्रोस्टेट कैंसर की चपेट में  पाया गया।  कैंसर की वजह बना चिमनी में जमे धुएं का कार्बन। 

स्मोकिंग और ग्रिलिंग के दौरान खाने में हेट्रोसाइक्लिक एमाइन (एचसीए) और पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (पीएएच) जैसे जहरीले केमिकल बनने लगते हैं। 
 नॉनवेज फूड में इन  केमिकल्स का खतरा ज्यादा होता है खाना जितनी ज्यादा देर लगाता  है उसमें इन केमिकल्स की मात्रा उतनी ही ज्यादा बढ़ती जाती है। यह केमिकल डीएनए डैमेज कर देते हैं। 

इंफेक्शन से डायरिया और गर्भपात तक का रिस्क 

स्मोक्ड फ़ूड  से बैक्टीरिया इंफेक्शन  भी हो सकता है। स्मोकिंग,ग्रिलिंग जैसे तरीकों में खाना ठीक नहीं पकता  जिससे उसमें बैक्टीरिया बढ़ने लगती है  जिसे खाने से उसमें मौजूद ई. कोलाई और लिस्टेरिया मोनोसाइटोजेन्स जैसे बैक्टीरिया पेट तक पहुंच जाते हैं। पेट में इंफेक्शन फैल जाता है। जैसे डायरिया ,पेट दर्द , बुखार ,सिरदर्द ,जैसी समस्याएं करने लगती है ,अमेरिकन कैंसर सोसायटी के मुताबिक ,ज्यादा मात्रा खाना खाने से पेट का कैंसर भी हो सकता है स्मोकिंग, ग्रिलिंग या फिर बारबेक्यू से तैयार मछलियां और दूसरे सी-फूड ज्यादा खाने वाली महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर और गर्भपात तक हो सकता है। 

लग सकती दिल की बिमारी और डायबिटीज 

आमतौर पर शॉपिंग के जरिए खाना पकाने में नमक भी यूज़ किया जाता है। इसमें उस में सोडियम की मात्रा बढ़ जाती है। एक हद तक तो यह मिनरल  शरीर के लिए जरूरी होता है। लेकिन बॉडी में इसका स्तर ज्यादा बढ़ने से ब्लड प्रेशर और दिल से जुड़ी बीमारियां हो सकती। सोडियम  की ज्यादा मात्रा किडनी को भी नुकसान पहुंचाती है। इसलिए किडनी और दिल के रोगों से जूझ रहे लोगों को स्मोक्ड फूड से दूर रहना चाहिए। हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ ने एक रिसर्च में यह भी पाया कि स्मोक्ड फूड से स्ट्रोक और टाइप-2 डायबिटीज भी हो सकती है।