अगर पैरो में दिख रही है नीली नसें तो यहां जाने कौनसी बिमारी का हो रहे है आप शिकार

शरीर में कुछ समस्याएं ऐसी होती है जिनके उत्पन्न होने के कारण हम अक्सर ध्यान नहीं देते। इन्ही में से एक हैवैरिकोज़ वेन्स। ये नीली और उभरी हुयी नसे होती है। शरीर के किसी भी हिस्से की नसों में दिक्कत हो सकती है। लेकिन सबसे अधिक प्रभावित नसे पैरों और पैरों के पंजों में होती है।यह रुके क़दमों की समस्या, क़दमों को और रोक देती है।
कौन होता है सबसे ज्यादा शिकार
सबसे ज़्यादा इसके शिकार दुकानदार व महिलाएं होती हैं। कंप्यूटर के सामने और ऑफिस में घंटों बैठने ,लंबे समय तक लगातार खड़े होकर काम करने वाले लोग ,ट्रैफिक पुलिसकर्मी व तकनीक प्रयोगशाला में कार्यरत ,वैज्ञानिक , न्यायपालिका के सदस्य व वकील भी इसमें में शामिल है। यह सामान्य शिक्षकों में तेजी से बढ़ रही है। कहने का मतलब यह जिन लोगों ने नियमित चलने की आदत छोड़ दी है और ज्यादा देर तक लगातार बैठने की आदत को गले लगाया या खड़े रहते हैं उनके परिजनों में उनके पैरों में वैरीकोज़ वेन्स होना निश्चित है।
ऐसे करे पहचान
अगर आपको कछुए या मकड़ी जैसी उभरी हुयी नीले रंग की नसें पैरों की त्वचा पर दिख रही है। काले रंग का निशान सकते हैं। बिंदिया नजर आ रही है तो यह वैरीकोज़ वेन्स है। इसमें थोड़ा सा चलने के बाद पैरों में सूजन , थकान या हल्का दर्द महसूस होने लगता चलने के बाद पैरों में थोड़ी लाली व उभरी हुई नीले रंग की नसें भी दिखने लगती हैं।
लेकिन ये होती क्यों है ?
पैरों की धमनी से शुद्ध खून प्रवाहित होता है जिसकी वजह से लाने के लिए ऑक्सीजन के हमेशा आवश्यकता होती है। टांगो के मांसपेशी और आक्सीजन देने के बाद खून ऑक्सीजन रहित और गंदा हो जाता है। यह खून दोबारा इस लायक तभी बनेगा जब फिर से इसमें ऑक्सीजन डाली जाए इसके लिए जरूरी है कि पैर में इकट्ठा हुआ यह गंदा ख़ून ऊपर चढ़कर दिल के ज़रिए फेफड़ों तक पहुंचे। फेफड़ों में फिर से ऑक्सीजन प्राप्त करके दोबारा संचार में आए और धमनी के जरिए फिर से पैरों को शुद्ध रक्त पहुंचे। अगर किसी वजह से शुद्ध खून ऊपर नहीं चढ़ेगा तो उसके पैर में इक्क्ठा होने की क्रिया बढ़ती जाएगी और पैरों में सामान्यतः सोई हुई नशे गंदे खून से भरना शुरू हो जाएगी। यह खाल के नीचे उभरी हुई मकड़ी के जाले की तरह दिखने लगेगी।यहीं से वैरिकोज़ वेन्स की शुरुआत हो जाती है।
उपचार से पहले लें सलाह
पैरों में वैरिकोज़ वेन्स की शुरुआत हो चुकी है तो वैस्कुलर सर्जन से परामर्श लें। अक्सर देखा गया है कि वैरिकोज़ वेन्स के मरीज़ कभी चर्म रोग विशेषज्ञ या कभी हड्डी रोग विशेषज्ञ के पास परामर्श लेने पहुंच जाते हैं। कुछ मालिश पर निर्भर रहते हैं। होश उन्हें तब आता है जब अल्सर जैसी समस्या से ग्रसित होने लगते हैं। वैरिकोस वेन्स का सही इलाज, एक अनुभवी वैस्कुलर सर्जन ही बता सकता है।
समस्या का समाधान भी है
वैरिकोज़ वेन्स की शुरुआत होने पर, सर्जरी या लेसर की ज़रूरत नहीं पड़ती है। रोज़ सुबह व शाम एक-एक घंटे टहलें। उछल-कूद बिल्कुल न करें। पैरों को कुर्सी से एक घंटे से ज़्यादा लटकाकर नहीं बैठें और न ही लगातार खड़े रहें। वज़न नियंत्रित रखें। दिन में चलते वक़्त एक विशेष क़िस्म की क्रमित दबाव वाली जुराबों को पहनना पड़ता है। साथ ही, हर दो महीने में वैस्क्युलर सर्जन से परामर्श भी करें।