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पाकिस्तान सरकार दोहरा रवैया ,बोले हम नहीं खरीदेंगे भारत से दवाई लेकिन अगर आम नागरिक चाहे तो खरीद सकते है

 

भारत से रिश्तों को लेकर पाकिस्तान सरकार काफी  दोहरा रवैया  सामने आया  हैं। पाकिस्तान की सरकार ने कहा है कि वह भारत से खुद किसी तरह की दवाइयां नहीं खरीदेंगे। लेकिन अस्पताल या आम पाकिस्तानी  चाहे तो वह सरहद पार से अपनी दवाइयां खरीद सकते हैं।मेडिसिन इम्पोर्ट पर नया ऑर्डर या पॉलिसी ड्रग रेग्युलेट्री अथॉरिटी ऑफ पाकिस्तान  ने जारी किया इसमें साफ कहा गया है कि अगर हॉस्पिटल या जरूरतमंद लोग भारत से लाइफ  सेविंग ड्रग  से वैक्सीन मांगना चाहते हैं तो वह कानून  ऐसा कर सकते हैं। 

देश के हॉस्पिटल में लाइफ सेविंग मेडिसिन और वैक्सीन की भारी कमी है

ड्रग रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ पाकिस्तान के मुताबिक ,अगर हॉस्पिटल या आम नागरिक भारत से कोई भी  दवा या वैक्सीन इंपोर्ट करना चाहते हैं तो उन्हें नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट हासिल करना जरूरी होगा। भारत से मेडिसिन और वैक्सीन की मांग संसद में कई बार उठी। लेकिन सरकार चुप रही। पाकिस्तान की वेबसाइट से न्यूज़ की रिपोर्ट में कहा गया है कि सीनेट में ड्रग इंपोर्ट ट्रेड को लेकर एक कमेटी है। इसके मेंबर प्रोफेसर मेहर ताज रोघानी ने पिछले दिनों मीटिंग में कहा था कि देश के हॉस्पिटल में लाइफ सेविंग मेडिसिन और वैक्सीन की भारी कमी है और अमीर तबका  इनकी ब्लैक मार्केटिंग में शामिल है। इसकी वजह से गरीब लोग मारे जा रहे हैं। 

वकार कि यह सभी बातें 2 साल से सच साबित हो रही है

मीटिंग में फैसला हुआ कि अगर हॉस्पिटल और आम नागरिक एनओसी हासिल कर लेते हैं तो बाहर से दवाइयां मंगा सकते हैं।  रोघानी ने कहा कि ,मेरे पास हर रोज पाकिस्तानियों के हर कोने से डॉक्टर और आम लोगों के फोन आते हैं वह दवाइयां भारत से मंगाना चाहते हैं ,उनकी लिस्ट बहुत लंबी है और अगर हम किसी और देश से मंगाते हैं तो कई गुना ज्यादा कीमत चुकानी पड़ेगी। 13 मई 2020 को पाकिस्तान के ड्रग मैन्युफैक्चरर्स ने  तब तक के प्रधानमंत्री इमरान से मुलाकात की थी। उन्होंने खान को बताया कि भारत से दवाएं आयात करना कितना जरूरी है।‘द न्यूज’ के बिजनेस ,एनालिस्ट वकार भट्टी ने अपने आर्टिकल में लिखा ,अगर हम  बाहर से दवाएं नहीं मंगवाएंगे  और उनका इस्तेमाल होने वाला कच्चा माल आयात करना बंद कर दें तो मुल्क में ज्यादातर दवाओं की कीमत पर 40% तक बढ़ जाएगी। हर साल पाकिस्तान से सैकड़ों गंभीर मरीज मेडिकल वीजा पर भारत के इलाज के लिए जाते हैं। इन बातों का ध्यान कौन रखेगा। वकार कि यह सभी बातें 2 साल से सच साबित हो रही है।