UPSC Result 2022:10 वि में 58 फीसदी नंबर और फ्री कोचिंग से आईएएस बना ये लड़का , वही अनुभव सिंह ने पांचवे अटेम्प्ट में किया आईएएस पास

उत्तर प्रदेश के मेधावियों का प्रदर्शन यूपीएससी परीक्षा में शानदार रहा। अपनी मेधा के दम पर उन्होंने सफलता की नई इबारत लिख डाली। लखनऊ के बि अनुभव सिंह को ही ले लीजिए ,चार बार असफल रहे। पत्नी पहले से आईएस है। उन्होंने 2019 में आईएएस सिविल सर्विसेज करके किया था। अनुभव हारते रहे लेकिन प्रयास नहीं छोड़ा। आखिरकार सफलता मिली।मेरठ के शुभम कुमार के सामने चुनौती बड़ी थी। लक्ष्य बड़ा था और अपने दम पर आखिरकार सफलता हासिल कर ली।
पांचवें अटेम्प्ट में मिली अनुभव को सफलता
लखनऊ के अनुभव सिंह ने पांचवें अटेम्प्ट में यूपीएससी में सफलता हासिल की है। कई ऑप्शन आए लेकिन उन्हें यूपीएससी के अलावा कहीं और कुछ मंजूर नहीं था आखिरकार उन्हें लक्ष्य को हासिल कर के ही दम ही लिया। अनमोल सिंह को पढ़ाई के अलावा बैडमिंटन खेलना ,वर्ल्ड सिनेमा देखना हिंदी सबटाइटल के साथ पसंद है ।नैशनल पॉल गैजुएट कॉलेज में असिस्टेंट प्रफेसर के पद पर काम करने वाले अनुभव ने दिल्ली के शहीद भगत सिंह कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस से ऑनर्स की पढ़ाई की। अनुभव की पत्नी 2019 बैच की आईएएस है उनकी 22 वे रेंक थीफिर, एमए जामिया से किया। अनुभव की पत्नी 2019 बैच की आईएएस है। उनकी 22वीं रैंक थी। वह इस समय सीडीओ फिरोजाबाद के पद पर तैनात हैं।
दसवीं में 58 फीसदी और शुभम अब आइएएस
मेरठ निवासी शुभम कुमार के 10वीं में 58 फीसदी अंक आए थे। 12वीं में भी 67 फीसदी अंक थे। औसत छात्र का स्टांप लगा दिया गया था। इसके लिंग के दौरान कम नंबर आने के बावजूद शुभम ने हिम्मत नहीं हारी। यूपीएससी में उन्होंने गत 41 वी रैंक हासिल की है। मेरठ निवासी शुभम के पिता किसान और मां गृहिणी है पिता ने पढ़ाई का पूरा मौका दिया। हालांकि कोचिंग के लिए अधिक संसाधन नहीं थे लिहाजा ऑनलाइन पढ़ाई स्टडी मटेरियल से तैयारी शुरू की। शुभम बताते हैं कि मुझे संस्कृत में चलने वाली मुफ्त कोचिंग योजना के बारे में पता चला तो मेरठ से तैयारी करने लखनऊ आ गया। यहां की टेस्ट सीरीज से काफी फायदा मिला। शुभम एक्स साइज एंड कस्टम विभाग में काम करते हैं। उनका कहना है कि प्रतिशत मायने नहीं रखती प्रतियोगी परीक्षा में समय आपने कितनी अच्छी तैयारी की है यह मायने रखता है । स्कूल इन के दौरान कम नंबर आने पर बच्चों को घबराने की जरूरत नहीं है। लक्ष्य पर फोकस करना चाहिए। पढ़ाई के साथ खेलना भी बहुत जरूरी है। बस पढ़ाई बस आवश्यक है कि पढ़ाई और खेलकूद का कॉन्बिनेशन सही टाइम मैनेजमेंट के साथ हो।