हाथ में मोबाईल और सेल्फी स्टिक ,ये है है नए युग का नया बाबा ,लोग बोलते है 'डिजिटल बाबा '

गेरुआ वस्त्र बढ़ी हुई जटाये और दाढ़ी ,हाथ में कमंडल, त्रिशूल ,चिमटा कपड़े वाला झोला और इसमें धार्मिक पुस्तके किसी साधु सन्यासी के बारे में सोचते हुए मन में पहले कुछ ऐसी छवि बनती है ऐसे में इससे इतर वेशभूषा में कोई साधु सन्यासी नजर आए थे एक बार कोई भी चौंक सकता है और अक्सर की स्वामी राम शंकर भी अपनी अलग चींजो , व्यवहार और वेशभूषा से चौंकाते है। वह निर्जन स्थान हो या फिर रेलवे स्टेशन जैसी भीड़ भाड़ वाली जगह अपने साथ में मोबाइल ,लैपटॉप ,ड्राई पोर्ट ,सेल्फी ,स्टिक कॉलर ,माइक के साथ था वो जब नजर आते हैं तो देखने वालों को उनका संन्यास होना पहली नजर में अपनी आंखों को धोखा ही लगता है। इसलिए ही स्वामी श्री श्याम शंकर अपने नाम से कहीं अधिक 'डिजिटल बाबा 'के रूप में जाने जाते हैं।
हाल ही में 108 दिनों में पर नर्मदा परिक्रमा पूरी की है
समाज के साथ ही सोशल मीडिया पर सक्रिय डिजिटल बाबा ने हाल ही में 108 दिनों में पर नर्मदा परिक्रमा पूरी की है। इसके बाद वह एक बार फिर से चर्चा में है। हिमाचल प्रदेश के बैजनाथ धाम स्थित नागेश्वर महादेव मंदिर में स्वामी राम शंकर उर्फ़ डिजिटल बाबा हर किसी का ध्यान खींचते हैं। क्योंकि वह श्रद्धालुओ से मुखातिब होते हुए अपने प्रवचन का यूट्यूब पर स्ट्रीम या फेसबुक पर लाइव भी खुद कर रहे होते हैं। अपने डिजिटल अवतार के बारे में स्वामी राम शंकर का कहना है कि जहां भौतिक रूप से वह कुछ ही श्रद्धालुओं से जुड़ पाते हैं। वर्चुअल तरीके से एक साथ लाखों लोगों के साथ होते है। अध्यात्मा कोई ऐसी क्रिया नहीं है जो सामने से ही की जा सके हम कहीं भी होकर कहीं भी हो सकते हैं यही तो अध्यात्म है ना तो फिर हम यदि नागेश्वर धाम में होकर दुनिया के किसी भी हिस्से में मौजूद अपने किसी भक्त से संवाद कर रहे हैं तो यह आध्यात्मिक क्रिया के विरुद्ध कैसे हैं।
घर छोड़कर हिमाचल में संन्यासियों का जीवन जीने लगता है
हमें डिजिटल माध्यमों से खुद को दूर करने के बजाए धार्मिक प्रयोजनों के लिए इसका इस्तेमाल सीखना चाहिए। डिजिटल बाबा कहते हैं मैं तो नर्मदा परिक्रमा के दौरान भी समय-समय पर लाइव कर भक्तों को वहां की दिव्य दर्शन कराता रहा उसका भी महत्व बताते है कितना अच्छा है यह कोई कहीं भी रहकर मेरे जरी नर्मदा यात्रा से जुड़ पा रहा है। बहुत से लोग इससे प्रेरित भी हो रही थी। गोरखपुर विश्वविद्यालय में पढ़ रहा ये युवा अचानक क्यों पढ़ाई छोड़ देता है घर छोड़कर हिमाचल में संन्यासियों का जीवन जीने लगता है । गृहस्थ से संन्यास की अपनी यात्रा के बारे में स्वामी राम शंकर बताते हैं मैं यूपी के देवरिया जिले के ग्राम खजुरी भट्ट का रहने वाला हूं। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय से बीकॉम की पढ़ाई कर रहा था लेकिन मेरा झुकाव आध्यात्मा की तरफ बढ़ रहा था। तब मेरी उम्र 20 साल थी मेरी दशा देखकर एक दिन मेरे परिचित मनोज शर्मा ने कहा कि तुम सन्यासी की तरह रहते हो तो फिर बन ही क्यों नहीं जाती हो इस तरह मन के विरुद्ध जगत में रहोगे तो तुम रह नहीं पाओगे। उन्होंने ही गुरुदेव का पता बताया तब हम उनसे मिलने गए 11 नवंबर 2008 को मैंने बीकॉम अंतिम वर्ष की पढ़ाई छोड़ दिया कि आश्रम के महंत स्वामी शिव चरण दास महाराज से दीक्षा प्राप्त कर वैरागी परंपरा के भक्ति मार्ग में अपना जीवन समर्पित कर दिया।