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बेंगलूर में बन रहा है आईफोन बनाने का प्लांट ,यहां जाने कितने लाख लोगो को मिलेगी नौकरी ,चीन से क्यों हटा रही है कम्पनी काम

 

एपल इंक के पार्टनर  फॉक्सकॉन टेक्नोलॉजी ग्रुप में सोमवार को बेंगलुरु एयरपोर्ट के पास देवनहल्ली एरिया में 13 मिलियन स्क्वायर फुट जमीन खरीद ली। रिपोर्ट्स के मुताबिक फॉक्सकॉन की सब्सिडियरी होन हाई टेक्नोलॉजी इंडिया मेगा डेवलपमेंट प्राइवेट लिमिटेड ने लंदन स्टॉक एक्सचेंज (LSE) को इस बात की जानकारी दी है। कंपनी ने 37 मिलियन डॉलर यानी 330 करोड रुपए में बेंगलुरु में यह जमीन खरीदी है। इस जमीन पर फॉक्सकॉन टेक्नोलॉजी ग्रुप एक मैन्युफैक्चरिंग प्लांट बनाएगी। 

कंपनी पार्ट्स बनाने के साथ एप्पल के हैंडसेट भी असेंबल करेगी

रिपोर्ट के मुताबिक इस प्लांट में कंपनी पार्ट्स बनाने के साथ एप्पल के हैंडसेट भी असेंबल करेगी।  फॉक्सकॉन कम्पनी  अपनी इस साइट को इलेक्ट्रिक व्हीकल बिजनेस के लिए कुछ पार्ट्स का प्रोडक्शन करने के लिए भी यूज कर सकती है। ब्लूमर्ग  की रिपोर्ट में पहले भी बताया गया था कि फॉक्सकॉन टेक्नोलॉजी ग्रुप ने लोकल प्रोडक्शन को बढ़ाने के लिए भारत में एक नए प्लांट पर करीब 7000 मिलियन डॉलर करीब का निवेश करने का प्लान बनाया है। अमेरिका चीन के बीच तनाव बढ़ने के कारण चीन से  एप्पल की  मैन्युफैक्चरिंग भारत में शिफ्ट की जा रही है। जियो पोलिटिकल टेंशन और कोरोना महामारी के बाद एप्पल समेत अन्य अमेरिकी  टेक दिग्गज चीन के बाहर अपनी मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी के विस्तार पर काम कर रही है। 

भारत में इस प्लांट के बनने से लगभग एक लाख जॉब क्रिएट्स होने की उम्मीद है। चीन के झेंग्झौ में कंपनी के विशाल आईफोन असेंबली कॉन्प्लेक्स में इस समय लगभग 200000 कर्मचारी काम करते हैं।  हालांकि पीक प्रोडक्शन सीजन के दौरान यह संख्या बढ़ जाती है। भारत में फॉक्सकॉन का इन्वेस्टमेंट अब तक का सबसे बड़ा सिंगल इन्वेस्टमेंट है । 

एप्पल ज्यादातर आईफोन चीन में ही क्यों बनाती है 

ज्यादातर आईफोन के असेंबलिंग चीन में होती है इसका कारण है लेबर की कम कॉस्ट है। इन्वेस्टोपीडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक एक आईफोन कर्मचारी वेतन $10 प्रति घंटा है। टॉप कमाई करने वाले लगभग $27 प्रति घंटा कमाते हैं। एप्पल के सीईओ टीम कूक  के अनुसार ,चीन में मैन्युफैक्चरिंग का कारण लो लेबर कॉस्ट नहीं है। अगर ऐसा होता, तो एपल अपने फोन को और भी सस्ती जगहों पर बना सकता था। कुक के अनुसार मुख्य कारण टूलिंग इंजीनियरिंग में जरूरी स्किल है। उनका दावा है कि स्पेसिफिक स्किल सेट अब US में उपलब्ध नहीं है, लेकिन चीन के पास एक्सपर्टीज है।