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गर्लफ्रेंड के लिए शख्स ने निकाला अपनी माँ और पत्नी को ,हथियाई प्रॉपर्टी ,यहां जाने इसको लेकर क्या है कोई क़ानूनी कार्यवाही

 

मामला राजस्थान की सीकर का है यहां गर्लफ्रेंड के लिए पवन  नाम के शख्स ने अपनी मां और पत्नी आशा को घर से निकाल दिया। उसने घर हथियाने के लिए  माँ से सरकारी कागजों पर दबाव देकर हस्ताक्षर भी करवाए। पवन और आशा के दो बच्चे हैं वह आशा के साथ अक्सर मारपीट करता था। घर खर्च के लिए पैसे भी नहीं देता था। इधर पवन की गर्लफ्रेंड भी एक बेटे की मां है आज वो बताते हैं कि पत्नी और मां के हक की बात करेंगे। जानते हैं कि जबरन हस्ताक्षर करने के लिए क्या कानून है  और माँ की संपत्ति पर बेटे का कितना हक है। 

मां की संपत्ति पर बेटे का कितना हक होता है?

पैतृक सम्पति पर बेटा और बेटी दोनों का अधिकार होता है कोई संपत्ति अगर माँ ने अर्जित की है  या जो प्रॉपर्टी उनके पति यानी बेटे के पिता की है वो मां के नाम है तो उस संपत्ति पर बेटे का अधिकार तब तक नहीं होगा, जब तक मां उस प्रॉपर्टी को बेटे के नाम न कर दे। इस पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी आ चुका है अगर मां-बाप चाहे तो वह भी अपने बच्चे को अपना प्रॉपर्टी दे सकते हैं। 

 मां ने FIR की है, कानूनन अगर बेटे को घर से निकाल दिया जाए तब क्या मां अपनी प्रॉपर्टी बहू के नाम कर सकती है?

मां ने अगर बेटे के खिलाफ अपील की है तो माँ खुद की अर्जित संपत्ति है तभी बहू के नाम उसे  कर सकेगी। 
बहू का ससुराल की संपत्ति पर कब और कैसे अधिकार होता है?
शादीशुदा महिला जाॅइंट हिंदू फैमिली की सदस्य होती है, लेकिन समान उत्तराधिकारी नहीं।
बहू का अपने ससुराल की संपत्ति में कोई अधिकार नहीं होता है।
जाॅइंट फैमिली में पति ने जो संपत्ति बनाई है, उसमें पत्नी का अधिकार होता है।
बहू ससुराल की संपत्ति पर अधिकार अपने पति के माध्यम से ही ले सकती है।
सास-ससुर के निधन के बाद उनकी संपत्ति में बच्चों का अधिकार होगा।
बहू उस हिस्से की हकदार होगी, जो उसके पति के हिस्से में आया है।
बहू को घर में तब तक रहने का अधिकार है, जब तक उसके वैवाहिक संबंध हैं।
ससुराल अगर किराए के मकान में है तो भी बहू को रहने का अधिकार है।
विधवा बहू का अपने पति की कमाई से बनाई गई संपत्ति पर अधिकार होता है।

माता पिता की सेवा को लेकर देश में क्या कानून है 

सीनियर सिटीजन एक्ट 2019 का कानून के तहत यदि बच्चे अपने मां बाप की देखरेख नहीं करते हैं तो इस आधार पर वह उनकी संपत्ति का हिस्सा देने से मना कर सकते हैं। मां-बाप के पास में संपत्ति से बेदखल करने का अधिकार है। अगर मां-बाप शारीरिक तौर से सक्षम नहीं है तो सीनियर सिटीजन मेंटिनेस एंड वेलफेयर एक्ट 2007 के तहत बच्चे से भरण-पोषण कर मांग कर सकते हैं। 

अगर बच्चो ने जबरदस्ती माँ बाप से करवाए हस्ताक्षर तो क्या होगा ?

अगर यह बात साबित हो जाती है कि बेटे ने दबाव डालकर अपनी मां से प्रॉपर्टी के कागजात पर हस्ताक्षर करवाए तो यह एक्सटॉर्शन, क्रिमिनल इंटिमिडेशन, चीटिंग और फोर्जरी, ब्लैक मेलिंग, क्रिमिनल कंस्पायरेसी के अंतर्गत कानूनी तौर पर सजा के अंतर्गत प्रावधान है।

  इस मामले में बेटे ने अपनी पत्नी को भी घर से निकाला, दोनों के बच्चे भी हैं, ऐसे में पत्नी के क्या अधिकार हैं?

इस मामले की बेटे ने अपनी पत्नी को भी घर से निकाला उसके दोनों बच्चों को भी ऐसे में पत्नी के क्या अधिकार है पति अगर बच्चों समेत पत्नी को घर से बाहर निकाल दे तो उसी स्थिति में घरेलू हिंसा का मामला पति-पत्नी दर्ज करवा सकती है। क्रिमिनल प्रोसीजर कोड 1973 कानून के तहत पत्नी और बच्चों के भरण-पोषण की जिम्मेदारी पति की होती है। सीआरपीसी की धारा 125 के तहत पत्नी गुजारा भत्ता मांग सकती है ऐसा नहीं करने पर स्थिति को जेल भी हो सकती है।