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परिवार के रहते हुए 10 साल अनाथालय में रहकर की यूपीएससी एक्जाम क्रेक ,पहले की थी 21 सरकारी नौकरी क्लियर

 

आज हम आपको ऐसे शख्स के बारे में बताने वाले हैं जिन्होंने अपने जीवन के 10 साल अनाथो  की तरह  बितायी। आर्थिक स्थिति से लड़ने के लिए सड़कों पर टोकरायां भी बेचते थे  और आखिर में देश की सबसे कठिन यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा पास कर आईएएस अधिकारी बन गए। दरअसल हम बात कर रहे हैं मोहम्मद अली  शिहाब  की। जिन्होंने अपने जीवन के इस महानतम लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक लंबा सफर तय किया। 

आर्थिक स्थिति को बनाए रखने के लिए बांस की टोकरी बेचा करता था

केरल की मूल निवासी मोहम्मद अली शिहाब उन लोगों के लिए प्रेरणा है जो बेहद कठिन समय से गुजर  रहे हैं पर जीवन में कुछ बड़ा करना चाहते हैं। मोहम्मद अली शिहाब की आईएएस बनने की कहानी निसंदेह आपको सबसे निराशाजनक परिस्थितियों में भी डटे करने के लिए प्रेरित करेगी।  ऐसे में आईएएस अधिकारी मोहम्मद अली शोएब  का जन्म केरल के मल्लपुरम जिले के एडवान्नाप्पारा गांव में हुआ था। बता दे उनका जन्म एक अत्यंत वंचित परिवार में हुआ जो आर्थिक कठिनाइयों का सामना कर रहा था। परिवार की विकट  परिस्थति में मोह्ह्म्मद शिहाब  को अपने पिता के साथ बहुत कम उम्र में काम करना पड़ा और अपने घर की आर्थिक स्थिति को बनाए रखने के लिए बांस की टोकरी बेचा करता था।  दुख की बात यह है कि लंबी बीमारी के बाद उनके पिता का निधन1991 में  हो गया। 

उनके कमजोर कंधों पर इस घर की जिम्मेदारियों का बोझ आ गया

आपकी काफी कम उम्र थी जब उनके कमजोर कंधों पर इस घर की जिम्मेदारियों का बोझ आ गया। उनकी मां के पास कोई औपचारिक शिक्षा नहीं थी और ना ही वे अपने परिवार को संभालने के लिए आय का कोई स्रोत था। वह इतनी गरीब थी  की उन्हें   शिहाब को  अनाथालयभेजना पड़ा।  शिहाब ने अनाथ बच्चों के साथ अनाथालय में रहते हुए 10 साल बिताए। उन्होंने इस अवधि के दौरान पढ़ना शुरू किया और अध्ययन शुरू किया। अपनी हायर स्टडीज के लिए उन्हें  पैसों की आवश्यकता थी। इसलिए उन्होंने सरकारी कार्यालय परीक्षा के लिए अध्ययन करना शुरू किया और 21  अलग-अलग सरकारी अथॉरिटी के लिए परीक्षा पास करने में सक्षम भी हुए।  वन विभाग में चपरासी ,जेल वार्डन ,रेलवे टिकट परीक्षक  के पद पर भी रह चुके हैं। बता दें कि उन्होंने शुरुआत में यूपीएससी की परीक्षा तब दी जब वे करीब 25 साल के थे। यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा अपने प्रयासों में उन्होंने काफी संघर्ष किया और असफल रहे रहे। हालांकि उन्होंने अपनी कोशिश जारी रखी और कभी हार नहीं मानी जाएगी उन्होंने साल 2011 में अपने तीसरे प्रयास में ऑल इंडिया 226 भी रैंक हासिल करती हुई यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा पास कर डाली।